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एक सांसद जो सीधे बनेगा सीएम! तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के क्या मायने? वो मास्टरस्ट्रोक, जिसपर रेवंत ने चित किए केसीआर

Telangana Assembly Election 2023: शादी के बाद कांग्रेस सांसद रेवंत के सियासी सफर का आगाज होता है... जिसकी कहानी भी दिलचस्प है... छात्र जीवन के दौरान वो आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए थे...

Telangana Assembly Election 2023: तेलंगाना में जीत कांग्रेस की बड़ी जीत है और इस जीत के कई किरदार हैं, जिन्होंने कांग्रेस की जीत के समीकरण को बनाया और फिर पूरे हिंदुस्तान को दिखाया भी। तेलंगाना में मिली जीत से मानों कांग्रेस को खोई हुई जमीन वापस मिल गई। अलग अलग राज्यों में मिल रही हार के बाद इतनी बड़ी मानों कांग्रेस के लिए संजीवनी बन गई।

तेलंगाना में जीत कई मायनों में खास

तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस की जीत बहुत जरूरी थी। राज्य में कांग्रेस के प्रमुख रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे है। दो बार विधायक रहने के साथ वर्तमान में सांसद हैं रेवंत रेड्डी। रेवंत रेड्डी का राजनीतिक सफर अभी तक बेहद रोचक रहा है। कड़ी सुरक्षा के बीच तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पड़े वोटों की गिनती रविवार सुबह 8 बजे शुरू हुई और सामने आए परिणामों- रुझानों से साफ हो गया कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए तैयार है। बेशक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को करारी हार मिली हो... लेकिन तेलंगाना के नतीजों ने उसे थोड़ी राहत जरूर दी है... क्योंकि तेलंगाना में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है...

1. तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के मायने क्या?

तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के मायने क्या हैं...क्या इससे दक्षिण के राज्यों का द्वार खुल जाएगा? ऐसा मानना है कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का, जिसमें वो सोनिया गांधी... राहुल गांधी और तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी के पोस्टर पर दूध चढ़ा रहे हैं... ये जश्न ये जोश इसलिए भी स्वाभाविक है क्यों चार राज्यों में से सिर्फ तेलंगाना एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें कांग्रेस की सरकार को बहुमत मिला है। इसी के साथ कर्नाटक के बाद तेलंगाना ऐसा दूसरा दक्षिण राज्य हो गया है जहां कांग्रेस की अपनी सत्ता होगी... क्योंकि तेलंगाना में कांग्रेस ने BRS को पछडाते हुए.... पहली बार तेलंगाना में अपनी सरकार बना ली है।

2. जीत का बड़ा श्रेय ए. रेवंत रेड्डी को

वैसे तो कांग्रेस की तरफ से तेलंगाना में चुनाव प्रचार का जिम्मा उसके कई बड़े नेताओं और कर्नाटक के नेताओं ने जमकर संभाला... लेकिन कांग्रेस की इस जीत का बड़ा श्रेय वहां के प्रदेश अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी को दिया जा रहा है.। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी लगातार BRS सरकार को चुनौती दे रहे थे... और लगातार दावा कर रहे थे कि इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है... इसीलिए चुनाव परिणाम के साथ इस बार की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही कि कौन हैं रेवंत रेड्डी... जिन्हें कांग्रेस की तरफ से CM की कुर्सी का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है... और आखिर क्यों उन्हें तेलंगाना में सीएम की कुर्सी दी जाने की बात हो रही है... यह भी पढ़े:मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत से 7वें आसमान पर शिवराज सिंह चौहान बोले- अटूट विश्वास और श्रद्धा के लिए आभार

आखिर कौन हैं रेवंत रेड्डी? उनका सियासी रसूख कितना

तेलंगाना में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरों में फिलहाल सबसे बड़ा नाम इन्हीं प्रदेश अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी का है... ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि आखिर कौन हैं रेवंत रेड्डी? उनका सियासी रसूख कितना है? उन्हें सीएम बनाने के क्या कारण हो सकते हैं? कांग्रेस की तरफ से सबसे बड़े दावेदार के रूप में जिस नाम की चर्चा हो रही है, वो है रेवंत रेड्डी... वर्तमान में रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के पद पर हैं। उनका जन्म 8 नवंबर 1967 को अविभाजित आंध्र प्रदेश में नगरकुर्नूल के कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर हुआ था। रेवंत के पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है। उन्होंने हैदराबाद में ए.वी. कॉलेज से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद रेवंत ने एक प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की। 7 मई 1992 को रेवंत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी अनुमुला गीता से शादी कर ली

सांसद रेवंत का सियासी सफर

शादी के बाद कांग्रेस सांसद रेवंत के सियासी सफर का आगाज होता है... जिसकी कहानी भी दिलचस्प है... छात्र जीवन के दौरान वो आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए थे... उन्होंने 2006 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ा और मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रीय समिति के सदस्य चुने गए। टीडीपी के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। साल 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए। साल 2017 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए, हालांकि कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वो टीआरएस उम्मीदवार से हार गए। केसीआर ने चुनाव से एक साल पहले विधानसभा भंग करके पहले ही चुनाव करवा दिया था, विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया जिसमें उन्होंने सिर्फ़ 10,919 वोटों से जीत दर्ज की, साल 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष चुना।

रेवंत रेड्डी की भूमिका कितनी बड़ी है इस जीत में

रेड्डी को कांग्रेस में शामिल होने के चार साल के अंदर ही प्रदेश संगठन का अध्यक्ष बनाए जाने से कुछ स्थानीय सीनियर कांग्रेस नेता नाराज भी हुए थे....ऐसा कहा जाता है कि कांग्रेस हाई कमान का भी मानना है कि रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को टक्कर दे सकते हैं. इसी के चलते रेवंत रेड्डी पर कांग्रेस आलाकमान ने भरोसा दिखाया. रेवंत रेड्डी ने भी एक जुझारू विपक्षी नेता के तौर पर लगातार अपनी छवि मजबूत की है. वो KCR के खिलाफ साल 2014 से ही आक्रामक रहे हैं...। रेवंत रेड्डी की मेहनत की वजह से कांग्रेस राज्य में पहली बार सरकार बनाएगी...


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