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Mizoram Election Result Update: कौन हैं वो शख्स, जिसने MNF का किया किया ध्वस्त, इंदिरा गांधी से कनेक्शन, बनेंगे CM

Mizoram Assembly Election Result 2023: जोरम पीपुल्स फ्रंट (ZPM) और मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के बीच कड़ा मुकाबला है। जानिए इन दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के बारे में...

Zoramthanga vs Lalduhoma
Mizoram Election Result Zoramthanga vs Lalduhoma: मिजोरम में आज विधानसभा चुनाव मतगणना हुई। 40 विधानसभा क्षेत्रों को नए विधायक मिले। प्रदेश में गत 7 नवंबर को 77.04 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यहां मुख्य मुकाबला जोरम पीपुल्स फ्रंट (ZPM)और मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के बीच था, जिसमें से ZPM ने मिजो का 10 साल पुराना किला ध्वस्त करते हुए बहुमत से जीत हासिल की। 2008 से 2018 तक मिजोराम में कांग्रेस काबिज रही। 2018 के चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने कांग्रेस का किला ध्वस्त करके सरकार बनाई थी। N. जोरामथंगा मुख्यमंत्री बने थे। 2018 के चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट ने सबसे ज्यादा 26 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को सिर्फ 5, भाजपा को एक सीट मिली थी। वहीं 5 निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीते थे। इस बार जिन 2 पार्टियों के बीच मुकाबला है, उनके बड़े चेहरे जोरामथंगा और लालदुहोमा है, जिनमें से लालदुहोमा का कनेक्शन इंदिरा गांधी से रहा और वे अब CM बनेंगे। जानिए उनके बारे में...

कौन हैं लालदुहोमा?

74 साल के लालदुहोमा जोरम पीपुल्स फ्रंट (ZPM) के अध्यक्ष हैं और पूर्व IPS अधिकारी हैं। वे मिजोरम के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी हैं। लालदुहोमा ने 1972 से 1977 तक मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रधान सहायक रहे। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने UPSC क्रैक किया। 1977 में IPS अधिकारी बने और गोवा में स्क्वाड लीडर बने। 1982 में वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज बने। पुलिस कमिश्नर भी रहे। राजीव गांधी की अध्यक्षता में 1982 एशियाई खेलों की आयोजन समिति के सचिव रहे। 1984 में पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए। दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1988 में कांग्रेस छोड़ी और दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए। इससे उनकी लोकसभा सदस्यता चली गई। इसके बाद उन्होंने जोरम पीपुल्स फ्रंट (ZPM) बनाई। पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिलने के कारण उन्होंने 2018 का चुनाव निर्दलीय लड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री लालथनहलवा को हराया। इसके बाद उनकी पार्टी को मान्यता मिली। अध्यक्ष लालदुहोमा चुने गए। इस वजह से उनकी विधायकी चली गई। नवंबर 2020 को विधानसभा की सदस्यता गंवाने वाले लालदुहोमा देश और मिजोरम के पहले विधायक बने। 2021 में सेरछिप सीट पर हुआ उप-चुनाव जीतकर वे फिर से विधानसभा में पहुंच गए। एक बार फिर उन्होंने चुनाव जीता है और वे अब प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel

कौन हैं जोरामथंगा?

मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के संस्थापक लालडेंगा ने अलगाववादी आंदोलन चलाया था। जोरमथांगा मिजोरम में लालडेंगा के डिप्‍टी थे। 13 जुलाई 1944 को जन्मे 79 साल के बुजुर्ग जोरमथांगा 1965 में मिजो पार्टी से जुड़े। फरवरी 1987 में मिजोरम पूर्ण राज्य बना और मिजो राजनीतिक पार्टी बनी। 1987 में जोरमथांगा ने चंपाई से चुनाव लड़ा और जीते। मिजो को 40 में से 24 सीटें मिली और सरकार बनाई। पहली सरकार में ही जोरामथंगा वित्त और शिक्षा मंत्री बने। 1990 में लालडेंगा के निधन के बाद वे पार्टी के अध्यक्ष बने। 1993 में पार्टी हारी तो नेता प्रतिपक्ष बने। 1998 में चुनाव जीता तो जोरामथंगा मुख्यमंत्री बने। 2003 में फिर मुख्यमंत्री बने। 2008 में पार्टी चुनाव हार गई। जोरामथंगा भी 2 जगहों से चुनाव हारे। 2013 में पार्टी फिर हार गई। 2018 के चुनाव में पार्टी जीती और जोरामथंगा मुख्यमंत्री बने। वे अब तक 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जोरामथंगा ने भारत सरकार से बचते हुए म्यांमार, बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन में घूमते हुए जीवन बिताया। जोरमथांगा ने अपनी किताब MILARI में इन यात्राओं का जिक्र भी किया। 1972 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान चटगांव के पहाड़ी इलाक से वे भागे थे। यहां सेवे यांगून, कराची और इस्लामाबाद गए। 1975 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो से मिले। चीन में लालडेंगा के साथ गुप्त मिशन के दौरान चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई से भी मिले थे।


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