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Manipur Violence: ‘हेट स्पीच न दे कोई पार्टी…’, मणिपुर हिंसा पर SC की नसीहत, सेना को निर्देश जारी करने से किया इंकार

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर राजनीतिक पार्टियों को बड़ी नसाहत दी है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी पार्टी नफरती भाषण न दे, जिससे मामला और बढ़े। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना द्वारा कुकी जनजाति की सुरक्षा की मांग करने वाली मणिपुर जनजातीय फोरम की याचिका […]

प्रतीकात्मक फोटो।
Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर राजनीतिक पार्टियों को बड़ी नसाहत दी है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी पार्टी नफरती भाषण न दे, जिससे मामला और बढ़े। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना द्वारा कुकी जनजाति की सुरक्षा की मांग करने वाली मणिपुर जनजातीय फोरम की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना और अर्धसैनिक बलों को इस तरह का निर्देश देना उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र और मणिपुर राज्य पर मणिपुर के नागरिकों के जीवन की सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालेगा।

72 साल के इतिहास में कभी नहीं दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के आदिवासी इलाकों में सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों को निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि 72 वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी भारतीय सेना को सैन्य, सुरक्षा या बचाव अभियान चलाने के बारे में निर्देश जारी नहीं किए हैं। लोकतंत्र की सबसे बड़ी पहचान सेना पर नागरिक नियंत्रण है और इसलिए वह इसका उल्लंघन नहीं कर सकती।

सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की

शीर्ष अदालत ने बताया कि कानून और व्यवस्था के रखरखाव के साथ-साथ राज्य की सुरक्षा का संरक्षण निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और न्यायालय के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को निर्देश जारी करना अनुचित होगा। कोर्ट इस पर निर्देश जारी नहीं कर सकता कि सैनिकों की एक विशेष बटालियन को कहां तैनात किया जाना है? हालांकि कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मणिपुर में नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा हो।  

फोरम ने कहा- सरकार ने दिया झूठा आश्वासन

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में हिंसा भड़कने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह एक स्टेट़्स रिपोर्ट दाखिल करेगी, जिसमें हिंसा को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख होगा। इस मामले में एक याचिका मणिपुर ट्राइबल फोरम द्वारा दायर की गई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस मुद्दे से निपटने के संबंध में शीर्ष अदालत को केंद्र सरकार का आश्वासन झूठा था।

आदिवासी इलाकों में सेना की तैनाती का उठाया था मुद्दा

8 मई को, मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि जारी हिंसा के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने तब राहत शिविरों में उचित व्यवस्था करने और विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास और धार्मिक पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक सावधानी बरतने को कहा था। फोरम ने आज स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आदिवासी इलाकों में सेना की तैनाती की मांग की, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। यह भी पढ़ें: J&K: जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की साजिश, सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को किया ढेर, हथियारों का जखीरा बरामद


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