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Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा पर आज सुनवाई; सरकार बातचीत के लिए तैयार

Manipur Violence: मणिपुर में पिछले एक सप्ताह से चल रही हिंसा के बाद धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर मेइती और आदिवासियों के बीच राज्य में हिंसात्मक झड़पें सामने आई थी, जिसके बाद राज्य के हालात बिगड़ गए। अब यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया […]

Manipur Violence: मणिपुर में पिछले एक सप्ताह से चल रही हिंसा के बाद धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर मेइती और आदिवासियों के बीच राज्य में हिंसात्मक झड़पें सामने आई थी, जिसके बाद राज्य के हालात बिगड़ गए। अब यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जहां आज यानी सोमवार को सुनवाई होगी। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में हिंसा को देखते हुए केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि केंद्र सरकार मणिपुर में समूहों के साथ बातचीत करने और उनके मुद्दों को हल करने के लिए तैयार है।

मणिपुर हिंसा मामले में अभी तक ये हुआ

1.  इन याचिकाओं पर होगी सुनवाईः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरशिमा और जेबी पर्दीवाला की बेंच सोमवार को मणिपुर की स्थिति पर सुनवाई करेगी। इस दौरान पीठ तीन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनमें मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मुद्दे पर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली भाजपा विधायक की याचिका और मणिपुर में हाल की हिंसा की एसआईटी जांच के लिए एक जनजातीय संगठन की जनहित याचिका शामिल है। 2. केंद्रीय मंत्री ने मणिपुर के समुदायों से की ये अपीलः केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने आंदोलनरत समूहों से बातचीत के लिए आगे आने का आग्रह किया है। उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया कि कृपया मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए आगे आएं। सरकार तैयार है। आपने किसानों के मुद्दे को देखा है। जब यह शांतिपूर्ण था, तो हमने उन्हें समझाने की कोशिश की। मुद्दा हल नहीं होने पर हम उनकी मांग पर सहमत हुए और बिल (तीन कृषि कानून) वापस ले लिए गए। सरकार अडिग नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार उन लोगों का ख्याल रखेगी, जिन्हें हिंसा के कारण नुकसान हुआ है। मंत्री ने कहा कि अगर उन्हें कोई समस्या है, तो इसे हल करना राज्य और केंद्र सरकारों की जिम्मेदारी है। हम सभी को संयम बनाए रखना चाहिए। हमें मुद्दों को बातचीत से सुलझाना चाहिए, न कि हिंसा से। हिंसा से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। 3. अब तक 23 हजार लोगों को सुरक्षित निकालाः मणिपुर में मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से 23,000 लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से निकाल कर सैन्य शिविरों में ले जाया गया है। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों को क्षेत्रों में तैनात किया गया है। 4. धीरे-धीरे बहाल हो रही राज्य की स्थितिः मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल होने के साथ, राज्य के गृह विभाग ने जिलाधिकारियों और उपायुक्तों को अपने जिलों के हिस्सों में रोजाना दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक कर्फ्यू में ढील देने का निर्देश दिया। चुराचांदपुर में रविवार को सुबह 7 बजे से 10 बजे तक पाबंदियों में ढील दी गई, ताकि लोग दैनिक जरूरतों की चीजों को खरीद सकें। इसके अलावा इंफाल के पश्चिम हिस्से में सोमवार सुबह पांच बजे से रात आठ बजे तक कर्फ्यू में ढील दी जाएगी। 5. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केंद्र पर साधा निशाना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। थरूर ने एक ट्वीट में कहा कि जैसा कि मणिपुर में हिंसा जारी है, सभी सही सोच वाले भारतीयों को खुद से पूछना चाहिए कि जिस बहुप्रचारित सुशासन का हमसे वादा किया गया था, उसका क्या हुआ? पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मणिपुर के मतदाता अपने राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने के एक साल बाद विश्वासघात महसूस कर रहे हैं। यह राष्ट्रपति शासन का समय है। राज्य सरकार उस काम के लिए तैयार नहीं है जिसके लिए वे चुने गए थे। देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-


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