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28 साल बाद डाक विभाग में मिली नौकरी, सिलेक्शन के बाद कर दिया था बाहर, सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी हक की लड़ाई

Man Get Postal Job After 28 Years At 50 Years Age Due To Supreme Court Order: डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन करने के 28 साल बाद एक शख्स को 50 की उम्र में नियुक्ति पत्र मिला है।

Supreme Court
Man Get Postal Job After 28 Years At 50 Years Age Due To Supreme Court Order: डाक विभाग में नौकरी के लिए आवेदन करने के 28 साल बाद एक शख्स को 50 की उम्र में नियुक्ति पत्र मिला है। हक की लड़ाई में युवक अब बुढ़ापे की दहलीज तक पहुंच गया है। 22 साल की उम्र में उसने डाक सहायक पद के लिए आवेदन किया था। प्री-इंडक्शन ट्रेनिंग के लिए चुन लिया गया था, लेकिन बाद में यह कहकर बाहर कर दिया कि उन्होंने वोकेशनल यानी व्यवसायिक स्ट्रीम से इंटर किया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो शीर्षतम अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करना पड़ा। 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी नियुक्ति का आदेश दिया कि उसे पद के लिए अयोग्य ठहराने में त्रुटि हुई थी।

1995 में नौकरी के लिए किया था आवेदन

दरअसल, अंकुर गुप्ता ने 1995 में डाक सहायक के पद के लिए आवेदन किया था। ट्रेनिंग के लिए चुन लिया गया, लेकिन बाद में बाहर कर दिया गया। गुप्ता और अन्य असफल कैंडिडेट्स ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में वाद दायर किया। न्यायाधिकरण ने 1999 में उनके हक में फैसला दिया। लेकिन डाक विभाग ने 2000 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 में याचिका खारिज कर दी और कैट के आदेश को बरकरार रखा। डाक विभाग ने समीक्षा दायर की, उसे भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद डाक विभाग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भेदभाव किया गया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियोक्ता, अगर वह संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत एक राज्य है, को मनमाने तरीके से कार्य करने और बिना किसी कारण या कारण के उम्मीदवार को बाहर निकालने का कोई अधिकार नहीं होगा। पीठ ने कहा कि यदि विभाग ने अंकुर गुप्ता को शुरुआत में ही अयोग्य घोषित कर देता तो स्थिति अलग होती। लेकिन उसे चयन प्रक्रिया के संबंध में विभिन्न परीक्षणों में भाग लेने की अनुमति दी गई। उनका साक्षात्कार लिया, उनका नाम योग्यता सूची में काफी ऊपर रखा और उसके बाद उन्हें 15 मार्च, 1996 से शुरू होने वाले 15 दिनों के प्री-इंडक्शन प्रशिक्षण के लिए भेजा। अंकुर गुप्ता के साथ भेदभाव किया गया। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने असाधारण क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि गुप्ता को एक महीने के भीतर डाक सहायक के पद पर (जिसके लिए उन्हें चुना गया था) प्रारंभिक रूप से परिवीक्षा पर नियुक्ति की पेशकश की जाए और यदि कोई पद रिक्त नहीं है, तो एक अतिरिक्त नियुक्ति की पेशकश की जाए। उसके लिए पद सृजित किया जाएगा।

नहीं मिलेगा बकाया वेतन

आदेश में कहा गया है कि अंकुर गुप्ता न तो बकाया वेतन का हकदार होंगे और न ही वह 1995 की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले अन्य उम्मीदवारों की नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता का दावा करने का हकदार होंगे। यह भी पढ़ेंहमास का हमदर्द बने तुर्की के राष्ट्रपति Erdogan, बोले- ये आतंकी संगठन नहीं


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