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कौन है वो शख्स, जिसकी वजह से Mahatma Gandhi के हत्यारों को मिली फांसी और उम्रकैद

Mahatma Gandhi Death Anniversary Special: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारों को उनके हत्यारे के कारण ही सजा मिली थी, जो सरकारी गवाह बन गया था। जानिए कैसे और कौन था?

कोर्ट में सुनवाई के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे हंसा करते थे।
Digambar Badge Murder Case Government Witness: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 76वीं पुण्यतिथि पर आज उनकी हत्या और उनके हत्यारों से जुड़ा एक फैक्ट जानते हैं। बापू के मर्डर केस में 12 लोगों दोषी करार दिया गया था, लेकिन इनमें से 7 लोगों को ही फांसी और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वीर सावरकर को बरी कर दिया गया था। वहीं 3 लोगों को भगौड़ा करार दिया गया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बापू को मारने वालों शामिल एक शख्स सरकारी गवाह बन गया था। उसने हत्यारों की शिनाख्त की। उसकी गवाही पर ही हत्यारों को सजा सुनाई गई।  

दिगंबर आर बाडगे को किया गया था माफ

बात हो रही है दिगंबर आर बाडगे की, जो महात्मा गांधी की हत्या करने वालों में शामिल था, लेकिन वह सरकारी गवाह बन गया था, जिसका उसे ईनाम भी मिला। उसे 21 जून 1948 को माफ करते हुए कोर्ट और पुलिस ने छोड़ दिया था। दिगम्बर महाराष्ट्र के अहमदनगर का रहने वाला था और हथियारों का डीलर था। दिगम्बर हिन्दू महासभा का एक्टिव वर्कर भी था। जब वह गिरफ्तार किया गया तो पहली पूछताछ में ही उसने सरकारी गवाह बनना स्वीकार कर लिया था। इसके बाद पूछताछ में उसने बापू की हत्या में शामिल सभी लोगों के नाम उगल दिए थे। उनके ठिकाने भी बता दिए थे।  

बापू के हत्यारे कहां से और क्या करते थे?

नाथूराम गोडसे- महाराष्ट्र के पुणे का रहने वाला था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मेंबर था और पेशे से पत्रकार था। नारायण आप्टे- महाराष्ट्र के पुणे का रहने वाला था। ब्रिटिश मिलिट्री सर्विस में था। पेशे से टीचर और न्यूजपेपर का मैनेजर था। विनायक दामोदर सावरकर- मुंबई का रहने वाले था। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य था। पेशे से वकील सावरकर लेखक भी था। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का अध्यक्ष भी रहा। शंकर किस्तया- महाराष्ट्र के पुणे का रहने वाला था। दिगम्बर बाडगे के घर में काम करता था और रिक्शा भी चलाता था। दत्तात्रेय परचुरे- मध्य प्रदेश के ग्वालियर का रहने वाला था और मेडिकल सर्विस से जुड़ा था। विष्णु करकरे- महाराष्ट्र के अहमदनगर का रहने वाला था। अनाथ था, इसलिए उसने जगह-जगह काम करके गुजारा किया। होटलों में काम किया। एक म्यूजिक बैंड का मेंबर रहा। एक रेस्टोरेंट का मालिक भी बना था। मदल लाल पाहवा- महाराष्ट्र के अहमदनगर में रिफ्यूजी कैंप में रहता था। ब्रिटिश इंडियन आर्मी से जुड़े था, लेकिन बंटवारे के बाद से बेरोजगार था। वह बंटवारे के दौरान पाकिस्तान के पंजाब से आया था। गोपाल गोडसे- महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले थे और नाथूराम गोडसे के भाई था।  


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