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इस चेहरे ने महाराष्ट्र सरकार को हिलाकर रख दिया, डिप्टी CM को भी मांगनी पड़ी माफी

Maharashtra Maratha Reservation Manoj Jarange Patil: मराठा समाज ने ‘मराठा आरक्षण’ को लेकर राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से 58 मोर्चे निकाले थे। आरक्षण का मुद्दा कोर्ट की लड़ाई में फंसा, बाद में प्रस्थापित नेता और मराठा आंदोलन से तैयार हुए नेताओं ने इस मुद्दे से अपना ध्यान हटा लिया। लेकिन आरक्षण के आंदोलन में एक […]

Maharashtra Maratha Reservation Manoj Jarange Patil: मराठा समाज ने 'मराठा आरक्षण' को लेकर राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से 58 मोर्चे निकाले थे। आरक्षण का मुद्दा कोर्ट की लड़ाई में फंसा, बाद में प्रस्थापित नेता और मराठा आंदोलन से तैयार हुए नेताओं ने इस मुद्दे से अपना ध्यान हटा लिया। लेकिन आरक्षण के आंदोलन में एक नारा 'एक मराठा लाख मराठा' था, जो महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में गूंजता रहा। जालना जिले के आंतरवली गांव में मनोज जरांगे पाटील का आंदोलन शुरु हुआ। मानसिकता थी कि सभी युवकों को आरक्षण मिलेगा, तभी उनके सवाल ख़त्म होंगे। आंदोलन का मुख्य चेहरा मनोज जरांगे पाटील बने। मनोज का पैतृक गांव बीड जिले के गेवराई तहसील का माथोरी है। मनोज अल्पभूधारक किसान हैं। जालना जिले के अंबड तहसील का शाहगड उनका ससुराल है। 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई करने वाले जरांगे ने 2005 से कई आंदोलन किए। आंदोलन के लिए मनोज ने अपनी खेती वाली जमीन तक बेच दी। जालना के अंबड तहसील के साष्टपीपलगांव में जरांगे ने अनशन किया था, तब भी भारी भीड़ जुटी थी और इस आंदोलन की चर्चा भी हुई थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उन्हें चर्चा के लिए मुंबई बुलाया था। इसके बाद जरांगे ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था।

दूसरी बार आंदोलन ने लिया उग्र रूप

बाद में वड़ीकालया और भांबेरी गांव में जरांगे ने आंदोलन किया, तब सीएम शिंदे ने इस आंदोलन का जायज़ा लिया था। इस बार के आंतरवली गांव के आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया। आरक्षण के मुद्दे पर काम करने के लिए जरांगे ने शिवबा नाम के संघटन की स्थापना की। 'ज़िंदा रहा तो तेरा नहीं तो माथे पर लगाया सिंदूर मिटा देना' वाक्य वाला बैनर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कहते है कि आंदोलन से सत्ता आती है, लेकिन मनोज को न सत्ता की भूख है और ना ही वो किसी नेता के ख़ास बने। इसीलिए मराठवाड़ा का यह चेहरा आज महाराष्ट्र में छाया हुआ है। मनोज जरांगे पाटील की ताक़त किस कदर बढ़ चुकी है, यह इसी बात से पता चलता है कि क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष सभी जरांगे की चौखट पर पहुंच रहे हैं। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, शिवसेना यूबीटी चीफ उद्धव ठाकरे, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने मनोज जरांगे पाटील को भरोसा दिलाया कि वो उनके साथ हैं। आज मनोज जरांगे पाटील के अनशन का 9वां दिन है। मराठा समाज पर हुए लाठीचार्ज पर डिप्टी सीएम और गृहमंत्री देवेंद्र फड़नवीस माफ़ी मांग चुके हैं। मराठा समाज पर हुए लाठीचार्ज के बाद दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार अपने सरकार पर खफा बताए जा रहे थे। देवेंद्र फड़नवीस के ख़ास दूत बनकर कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन और सीएम एकनाथ शिंदे की तरफ़ से पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर, जरांगे को समझाने में लगे हैं लेकिन जरांगे का कहना है कि पहले सरकारी अध्यादेश (जीआर) लेकर आइये, उसके बाद ही अनशन ख़त्म होगा।


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