Gen Z बच्चों की निंदा नहीं मदद करें
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने टिप्पणी करते हुए इस लत से जूझ रहे Gen Z बच्चों की निंदा करने के बजाय उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि इन बच्चों को इस लत से उबरने के लिए समाज का आगे बढ़कर मदद का हाथ बढ़ाना होगा। साथ ही इन बच्चों को इस विषय पर सही ढंग से ज्ञान और मार्गदर्शन देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस गंभीर समस्या से जूझ रहे बच्चों को सजा देने के बजाए मैच्योरिटी के साथ समझाना चाहिए और उन्हें सही सलाह देनी चाहिए, जिससे वे अपनी इस लत से छुटकारा पाने में सफल हों।
यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के विरोध में हैं चारों शंकराचार्य, सामने आई खबर की सच्चाई
शोध का उदाहरण
कोर्ट ने कहा कि इसकी शुरुआत स्कूल के स्तर पर होनी चाहिए। कोर्ट ने हालिया शोध का उदाहरण देते हुए किशोरों के पोर्नोग्राफी के कनेक्शन पर भी प्रकाश डाला है। शोध रिपोर्ट के अनुसार, 10 में से 9 लड़कों ने और 10 में से 6 लड़कियों ने 18 साल से पहले पोर्नोग्राफी का अनुभव किया था। बता दें कि कोर्ट ने ये कमेंट चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखने के मामले की सुनवाई करते हुए किए है।