Lok Sabha Election 1951-52: लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो गया है। चुनाव 7 चरण में होंगे। नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव कुल 543 संसदीय सीटों के लिए होगा। प्रत्येक सीट से एक सांसद चुने जाएंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि अपने देश में पहले एक सीट से दो या तीन सांसद चुने जाने थे। चौंक गए न... लेकिन यह सही है। ऐसा कब हुआ है, आइए जानते हैं...
पहली बार कब एक सीट पर चुने गए दो सांसद?
दरअसल, देश को आजादी मिलने के बाद 1951-52 में पहला आम चुनाव हुआ, जिसमें कुल 2राज्यों की 400 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले गए। इन सीटों में से 314 सीटों पर तो एक सांसद चुने गए, लेकिन बाकी 86 सीटों पर दो-दो सांसद चुने गए। इसमें से एक सांसद जनरल कैटेगरी से और दूसरा सांसद अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग से होता था। बंगाल में एक सीट पर तो तीन सांसद चुने गए थे। वहीं, 1952-57 में 403 सीटों में से 91 सीटों पर दो सांसद चुने गए।
उत्तर प्रदेश में 1951-52 में दो-सांसदों वाली सीटें सबसे ज्यादा थीं। यहां कुल 17 सीटें थीं। यूपी के बाद मद्रास में 13, बिहार में 11 और बॉम्बे में 8 दो-सांसदों वाली सीटें थीं। जब भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो कुल सीटों की संख्या बढ़कर 494 हो गई। इसके बाद यूपी में 18, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और बॉम्बे में 8-8 और मद्रास में 7 दो सांसदों वालों सीटें थीं।
1951-52 में किस राज्य में कितनी दो-सांसदों वाली सीटें थी?
उत्तर प्रदेश- 17
मद्रास- 13
बिहार-11
बॉम्बे- 8
मध्य प्रदेश- 6
पश्चिम बंगाल-6
हैदराबाद- 4
ओडिशा- 4
पंजाब- 3
राजस्थान- 2
मैसूर- 2
मध्य भारत- 2
असम- 2
विंध्य प्रदेश- 2
पटियाल एंड ईस्ट पंजाब स्टेट्स यूनियन- 1
त्रावणकोर-कोचीन- 1
दिल्ली- 1
हिमाचल प्रदेश- 1
लोकसभा में कुल कितने सीटें हैं?
बता दें कि 1962 में जब दो-सांसदों वाली व्यवस्था को खत्म किया तो उस समय लोकसभा सीटों की संख्या 494 थीं। इसमें जनरल कैटेगरी की 494, एससी की 79 और एसटी की 30 सीटें थीं। मौजूदा समय में लोकसभा सीटों की संख्या 543 है। अब एससी के लिए 84 और एसटी के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। अगर एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को मिला दें तो लोकसभा सीटों की संख्या 545 हो जाती है।
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