Trendingind vs saIPL 2025Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024Kartik Purnima

---विज्ञापन---

जानिए कौन हैं NASA में तैनात भारतीय मूल के वैज्ञानिक अरोह बड़जात्या? जो सूर्य ग्रहण पर एक साथ लॉन्च करेंगे 3 रॉकेट

अमेरिकी आतंरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी (NASA) में कार्यरत भारतीय मूल के वैज्ञानिक अरोह बड़जात्या (Aroh Barjatya) को एक मिशन को लॉन्च करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसको लेकर सोशल मीडिया (Social Media) के अलग-अलग प्लेटफॉम्स पर तेजी से चर्चा हो रही है। अरोह बड़जात्या 14 अक्टूबर 2023 को आंतरिक्ष कार्यक्रम […]

जानिए कौन हैं NASA में तैनात भारतीय मूल के वैज्ञानिक अरोह बड़जात्या।
अमेरिकी आतंरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी (NASA) में कार्यरत भारतीय मूल के वैज्ञानिक अरोह बड़जात्या (Aroh Barjatya) को एक मिशन को लॉन्च करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसको लेकर सोशल मीडिया (Social Media) के अलग-अलग प्लेटफॉम्स पर तेजी से चर्चा हो रही है। अरोह बड़जात्या 14 अक्टूबर 2023 को आंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े अभियान के तहत कुंडलाकार सूर्य ग्रहण के दौरान तीन रॉकेट लॉन्च करने वाले हैं। इस मिशन को लेकर अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मिशन के चलते सूर्यग्रहण के आसपास वायुमंडलीय बदलाव देखा जाता है। इसी का नेतृत्व अरोह बड़जात्या कर रहे हैं। इसी के दौरान यह रिसर्च किया जाएगा कि सूरज की रोशनी में अचानक दिखने वाली गिरावट हमारे ऊपरी वायुमंडल को कैसे प्रभावित करती है। साथ ही यह भी बताया गया है कि 14 अक्टूबर को होने वाले सूर्य ग्रहण को देखने वाले लोगों को सूर्य की चमक अपनी साधारण चमक से 1% तक कम दिखाई देगी। इतना ही नहीं, इस दौरान सूर्य के प्रकाश की एक चमकदार रिंग भी नजर आएगी। बताया जाता है कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा सूर्य को ग्रहण करेगा। यह भी पढ़ें: पति को खुश रखने के लिए वाइफ ने खुद हायर की रखैल, 34 हजार रुपये सैलरी दे रही हर महीने बता दें कि लगभग 50 मील ऊपर हवा खुद से विद्युत बन जाती है। वैज्ञानिक भाषा में इस वायुमंडलीय परत को आयनमंडल कहते हैं, क्योंकि यह वह जगह होती है, जहां सूर्य के प्रकाश का यूवी कंपोनेंट इलेक्ट्रॉनों को परमाणुओं से दूर खींचकर ऊंचाई पर तैरने वाले आयनों और इलेक्ट्रॉनों का एक समुद्र बना सकता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज की रोशनी गायब हो जाती है और कुछ समय बाद ही एक छोटे से हिस्से पर फिर से दिखाई देना शुरू हो जाती है। इस दौरान एक झटके में आयनोस्फियर का तापमान और घनत्व अचानक घटने बढ़ने लगता है, जिससे आयनोस्फीयर में लहरें उठने लगती हैं। फ्लोरिडा में एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग भौतिकी के प्रोफेसर अरोह बड़जात्या बताते हैं कि 'यदि आप आयनमंडल को एक तालाब के रूप में सोचते हैं, जिस पर कुछ हल्की लहरें हैं, तो ग्रहण एक मोटरबोट की तरह है जो अचानक पानी में बह जाती है, यह तुरंत इसके नीचे और पीछे एक जागृति पैदा करता है, और फिर जैसे ही यह वापस अंदर आता है, पानी का स्तर क्षण भर के लिए बढ़ जाता है।' उन्होंने कहा कि एपीईपी टीम ने एक साथ तीन रॉकेट लॉन्च करने की योजना बनाई है, जिसके चलते ग्रहण के पीक पर होने से लगभग 35 मिनट पहले एक रॉकेट लांच होगा। दूसरा ग्रहण के पीक पर होने के दौरान और एक 35 मिनट बाद लॉन्च किया जाएगा। वे वलयाकार सूर्यग्रहण के रास्ते के ठीक बाहर उड़ेंगे जहां चंद्रमा सीधे सूर्य के सामने से गुजरता है। अरोह बड़जात्या ने मीडिया से कहा कि बताया कि लॉन्चिंग के दौरान प्रत्येक रॉकेट चार छोटे वैज्ञानिक उपकरण स्थापित करेगा जो विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र के साथ घनत्व और तापमान में होने वाले परिवर्तन को मापने का कााम करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में यदि वे सफल होते हैं, तो यह सूर्य ग्रहण के दौरान आयनमंडल में कई स्थानों से एक साथ लिया गया पहला माप होगा। यह भी पढ़ें: भारत ने कनाडा पर फिर दिखाए सख्त तेवर, कनाडाई डिप्लोमैट की संख्या में कटौती करने की मांग


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.