TrendingNavratri 2024Iran Israel attackHaryana Assembly Election 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Aaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

UCC पर चुप्पी को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कांग्रेस को घेरा, कहा- आप रुख साफ करें

Pinarayi Vijayan on Congress: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर कांग्रेस की चुप्पी को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस का यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई स्पष्ट रुख है? संदेहास्पद चुप्पी धोखा देने वाली है। जब भारत की बहुलता पर संघ परिवार के हमलों का विरोध करना समय की मांग […]

Pinarayi Vijayan on Congress: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर कांग्रेस की चुप्पी को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस का यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई स्पष्ट रुख है? संदेहास्पद चुप्पी धोखा देने वाली है। जब भारत की बहुलता पर संघ परिवार के हमलों का विरोध करना समय की मांग है, तो क्या कांग्रेस उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए तैयार है? इससे पहले शनिवार को हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि कांग्रेस समान नागरिक संहिता का समर्थन करेगी। बयान के बाद उन्होंने ये भी कहा था कि वे इस मुद्दे पर पार्टी के फैसले के अनुसार चलेंगे। यह भी पढ़ेंः सीधी पेशाबकांड के पीड़ित को आर्थिक मदद, 5 लाख रुपये की सहायता राशि और घर बनाने के लिए मिलेंगे 1.50 लाख

कांग्रेस ने कहा था- चुनाव की वजह से यूसीसी को हवा दी जा रही

बता दें कि लॉ कमीशन की ओर से यूसीसी पर पब्लिक ओपिनियन की मांग की गई थी। इसके बाद कांग्रेस की ओर से कहा गया था कि आगामी विधानसभा और लोकसभआ चुनावों की से वजह से यूनिफॉर्म सिविल कोड को हवा दी जा रही है। पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता वीरप्पा मोइली ने भी आरोप लगाया कि समाज में विभाजन पैदा करने के लिए ये मुद्दा उठाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान का अनुच्छेद 25 आस्था की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

यूनिफार्म सिविल कोड की विचारधारा एक देश-एक कानून-एक विधान पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में यूनिफॉर्म सिविल कोड शब्द का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि भारत में हर नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास होना चाहिए। संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने संविधान को बनाते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है।

क्यों जरूरी है समान नागरिक संहिता?

भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। भारत में हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट 1956 है, मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। शादी, तलाक, संपत्ति विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार आदि के मामलों में हिंदुओं के लिए अलग कानून हैं, जबकि मुसलमानों के लिए अलग। यह भी पढ़ेंः एकनाथ शिंदे गुट के नेता का बड़ा दावा- अजित पवार गुट के आने से हमारे सभी नेता खुश नहीं, पार्टी में बेचैनी है

गोवा में पहले से लागू है यूसीसी

संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। यहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाईयों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं। जिसे गोवा सिविल कोड कहा जाता है। इस राज्य में सभी धर्मों के लिए फैमिली लॉ है। यानी शादी, तलाक, उत्तराधिकार के कानून सभी धर्मों के लिए एक समान हैं।

किन-किन देशों में UCC?

फ्रांस, अमेरिका, रोम, सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देशों में पहले से कॉमन सिविल कोड लागू है।

UCC लागू होने से क्या होंगे बदलाव?

  • UCC लागू हो गया तो हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे।
  • धार्मिक स्थलों के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा। अगर मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथों में हैं, तो फिर मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का प्रबंधन भी सरकार के हाथों में होगा। लेकिन अगर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरिजाघर का प्रबंधन उनके अपनी-अपनी धार्मिक संस्थाएं करती हैं तो फिर मंदिर का प्रबंधन भी धार्मिक संस्थाओं को ही देना होगा।
  • बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता-पिता को सूचना जाएगी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों का बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों। एडॉप्शन सभी के लिए मान्य होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
  • हलाला और इद्दत (भरण पोषण) पर रोक लगेगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
  • और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.