James Bond Of India Ajit Doval Profile: भेष बदलकर 8 साल दुश्मन के 'घर' में बिताए और उसे भनक तक नहीं लगी। पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक करके करारी शिकस्त दी। ऑपरेशन ब्लैक थंडर के समय ऐसी रणनीति बनाई कि खालिस्तानी आतंकियों की नाक के नीचे से स्वर्ण मंदिर खाली करा लिया।
IPS ऑफिसर बने थे, लेकिन सिर्फ 4 साल वर्दी पहनी और उसके बाद जासूसी के वो दाव पेंच दुनिया को दिखाए कि James Bond Of India कहलाए। पुलिस अफसर बनकर करियर की शुरुआत करने वाले अजीत डोभाल यूं ही नहीं बन गए प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर, जानिए उनके बारे में...
मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई, क्रैक किया UPSC
देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ। पिता GN डोभाल भारतीय सेना में मेजर थे तो अजमेर के मिलिट्री स्कूल में अजीत की पढ़ाई लिखाई हुई। 1967 में आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। 1968 में UPSC क्रैक करके केरल कैडर से IPS ऑफिसर बने। 4 साल बाद 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए। 2005 में IB डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए।
पाकिस्तान में भेष बदलकर 7 साल रहे
IB से जुड़ने के बाद अजीत का जासूसी करने का दौर शुरू हुआ। लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट उग्रवादी बन रहा था, जिसे कंट्रोल करने की जिम्मेदारी अजीत को मिली, लेकिन वे इतने चालाक निकले कि उन्होंने लालडेंगा के 6 कमांडरों को अपना साथी बना लिया। इसके बाद देश की खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट बनकर पाकिस्तान के लाहौर में मुस्लिम बनकर बिताए। पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखी और भारतीय सेना तक जानकारियां पहुंचाईं।
ऑपरेशन ब्लैक थंडर के मास्टरमाइंड
अजीत डोभाल ही पंजाब के अमृतसर में जून 1984 में भारत सरकार द्वारा किए गए ऑपरेशन ब्लैक थंडर के मास्टरमाइंड थे। खालिस्तानी आतंकियों ने ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर को कब्जा लिया था। इस दौरान वे रिक्शा वाला बनकर स्वर्ण मंदिर के अंदर घुस गए और भारतीय सेना को दुश्मनों की जानकारी देते रहे। इस ऑपरेशन में जीत का सेहरा उन्हीं के सिर बंधा था।
सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे अजीत का दिमाग
जब पाकिस्तान ने उरी में भारतीय सेना के जवानों पर आतंकी हमला कराया तो दुश्मन को सबक सिखाने के लिए 28-29 सितंबर 2019 की रात को पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की गई। इसके मास्टरमाइंड भी अजीत डोभाल ही थे। पूरी सर्जिकल स्ट्राइक की स्ट्रेटजी अजीत डोभाल ने ही बनाई थी।
NSA का पद, उपलब्धियां और अवार्ड
करीब 45 साल का जासूसी का अनुभव रखने वाले अजीत डोभाल ने 31 मई 2017 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद संभाला था। वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर के चीफ रहे। जॉइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ भी थे। अजीत डोभाल राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट थे।
अजीत डोभाल को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। यह पदक सेना अधिकारियों को दिया जाता है, लेकिन पहली बार किसी पुलिस अधिकारी को यह सम्मान दिया गया, क्योंकि अजीत की उपलब्धियों ने उन्हें इसका हकदार बनाया।