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इंडिया गठबंधन की सिर्फ एक गलती और संसद से निकला जाति का ‘जिन्न’, जानें लोकसभा चुनाव में क्या पड़ेगा असर

Jaat Politics In Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में जाटों की संख्या ज्यादा है। यहां की लोकसभा सीटों पर उनका सीधा दबदबा रहता है।

Jaat Politics In Lok Sabha Election 2024 : देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। इस चुनाव में इस बार दो गठबंधन एनडीए और इंडिया अलायंस के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में विपक्षी गठबंधन के पास सरकार को घेरने का मौका था, लेकिन सिर्फ एक गलती से ही सारा पासा पलट गया और खेल सत्ता पक्ष के पाले में चला गया। अब सवाल उठ रहा है कि संसद से निकला जाति का 'जिन्न' लोकसभा चुनाव में कितना असर डालेगा? आइये जानते हैं चुनावी समीकरण। संसद में सांसदों के निलंबन का विरोध करना विपक्ष को भारी पड़ता दिख रहा है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा मिमिक्री करने को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बड़ा बयान दिया, जिससे जाट समुदाय को अपमानित करने का मुद्दा सामने आ गया। इसके बाद जाट समुदाय लामबंद हो गया। उन्होंने उपराष्ट्रपति के पक्ष में प्रदर्शन किया और टीसीएसी सांसद से माफी मांगने की मांग की है। एक तरफ पहलवानों के धरना प्रदर्शन के बाद जाट सुमदाय एनडीए से नाराज चल रहा था तो दूसरी तरफ संसद में उपराष्ट्रपति के अपमान से वे गठबंधन के खिलाफ नजर आ रहे हैं। यह भी पढ़ें : क्या I.N.D.I.A. में समय से पहले पड़ गई दरार?  कई लोकसभा सीटों पर जाट समुदाय का दबदबा पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में जाटों की संख्या ज्यादा है। इन राज्यों की लोकसभा सीटों पर उनका सीधा दबदबा रहता है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले किसी भी राजनीतिक दल के लिए जाट समुदाय को नाराज करना भारी पड़ सकता है। पश्चिमी यूपी की करीब दर्जनभर लोकसभा सीटों पर हार-जीत तय करने में जाटों की अहम भूमिका रहती है। वहीं, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में 40 ऐसी संसदीय सीटें हैं, जहां कोई भी दल बिना जाट समुदाय का साधे जीत दर्ज नहीं कर पाता है। किसके पक्ष में जा सकता है जाट सुमदाय आपको बता दें कि दिल्ली के जंतर मंतर में पिछले दिनों हुए पहलवानों के धरना प्रदर्शन से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसत में फंस गई थी। ये सभी पहलवान हरियाणा के जाट समुदाय से आते हैं। इससे पहले किसानों के आंदोलन में भी सबसे ज्यादा हरियाणा के जाट किसान ही शामिल हुए थे। हालांकि, बाद में सरकार ने किसान बिल वापस ले लिया था। वहीं, उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में जाटों को मनाने के लिए बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने पश्चिमी में कई बैठकें की थीं। चुनाव में बीजेपी को जाटों की नाराजगी का खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। लोकसभा चुनाव से पहले बैठे बिठाए ही भाजपा को जाटों को मनाने का एक मुद्दा मिल गया है। एनडीए और इंडिया गठबंधन की क्या है रणनीति एक तरफ बीजेपी गठबंधन एनडीए एक बार फिर लोकसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करके हैट्रिक मारने की कोशिश में जुटा है तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने दिल्ली में बैठकर चुनाव की रणनीति तैयार की। केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हटाने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं और उन्होंने इंडिया गठबंधन के मंच से आगे बढ़ने की मजबूत रणनीति तैयार की है।


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