Russian Nuclear Bomber Tupolev TU 160m Features: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन इस साल भारत का दौरा करेंगे। यह ऐतिहासिक दौरा कई समझौतों का साक्षी बन सकता है। चर्चा है कि टेबल पर रूस से बातचीत के समय भारत रूस का Tu-160M परमाणु बॉम्बर के लिए डील कर सकता है। भारत इस बॉम्बर को खरीदना चाहता है और रूस भी चाहता है कि भारत इसे खरीदे।
रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध में इस बॉम्बर का इस्तेमाल किया। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करके ही रूस ने यूक्रेन को तबाह किया। इससे मिसाइलें और बम दागकर यूक्रेन के शहरों पर कब्जा किया। रूस भारत को यह बॉम्बर खरीदने का ऑफर दे रहा है। पिछले काफी समय से लगातार भारत को यह बॉम्बर ऑफर हो रहा है। आइए जानते हैं कि रूस का यह परमाणु बॉम्बर कितना शक्तिशाली है?
TU 160m बॉम्बर की खासियतें...
1. बॉम्बर को व्हाइट स्वान कहते हैं। इससे बम, परमाणु बम, हाइपरसोनिक मिसाइल, सुपरसोनिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल दागी जा सकती है। 177.6 फीट लंबाई है। ऊंचाई 43 फीट है। इसके 2 लॉन्चर में अधिकतम 45 टन का पेलोड है।
2. बॉम्बर 40000 फीट की ऊंचाई पर मैक्सिमम 2220 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है। यह 52000 फीट ऊंचाई तक जाने में सक्षम है। एक बार में 12300 किलोमीटर दूरी तय कर सकता है। प्रति मिनट 14000 फीट ऊंचाई तक जा सकता है।
3. बॉम्बर बिना ईंधन के एक उड़ान में ही पूरी दुनिया का चक्कर लगा सकता है। इसमें 45000 किलो वजन उठाने की क्षमता है, लेकिन यह 110000 किलोग्राम भार लेकर उड़ान भरने में सक्षम है। बॉम्बर 12 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है।
4. साल 2000 में पुराने बॉम्बर का नया वर्जन लॉन्च किया गया था। सबसे मॉडर्न वर्जन दिसंबर 2014 में लॉन्च हुआ था। फरवरी 2022 में बॉम्बर को NK-32-02 इंजन के साथ अपग्रेड करके इसकी फायरिंग रेंज 1000 किलोमीटर तक बढ़ाई गई थी।
5. रूस अब बॉम्बर में रियर-व्यू रडार लगाने की योजना बना रहा है। यह रडार बॉम्बर को हवा से हवा में, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और लड़ाकू विमानों के खिलाफ पीछे की ओर मिसाइलें दागने में सक्षम बनाएगा।
6. TU 160m सुपरसोनिक वैरिएबल स्वीप विंग हैवी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर है। 1970 में सोवियत संघ के तुपोलेव डिजाइन ब्यूरो ने इसे डिजाइन किया था। बॉम्बर ने दिसंबर 1981में पहली उड़ान भरी थी। 1987 से यह बॉम्बर रूस की वायुसेना का हिस्सा है।
7. साल 2016 से अब तक रूस के पास ऐसे 16 बॉम्बर हैं। देश की योजना ऐसा 50 नए बॉम्बर एयरफोर्स में शामिल करने की है। इसे 4 लोग मिलकर उड़ाते हैं, जिनमें पायलट, को-पायलट, बमबॉर्डियर और डेफेंसिव सिस्टम ऑफिसर शामिल हैं।
भारत को क्या फायदा होगा?
भारत के पास अभी तक ऐसा कोई बॉम्बर नहीं है, लेकिन अगर भारत रूस के इस बॉम्बर को खरीद लेता है तो चीन के कई बड़े शहर भारत की रेंज में आ जाएंगे। अगर 6-6 बॉम्बर नागपुर और तंजावुर में तैनात कर दिए जाएं तो एक साथ चीन और पाकिस्तान तक उड़ान भर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में तैनात हो जाएं तो चीन के किसी भी शहर को चुटकियों को तबाह कर सकते हैं। दक्षिण भारत में तैनात हो जाए तो पूरे हिंद महासागर को कवर कर लेगा। इस बॉम्बर से भारत चीन के नेवी फ्लीट को टारगेट कर सकता है।