Indian Space Program: नए युग की शुरुआत; देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘Vikram-S’ लॉन्च, पीएम मोदी ने दी बधाई
श्रीहरिकोटा: इंडियन स्पेस प्रोग्राम के नए युग का प्रारंभ हो गया है। शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से देश के पहले प्राइवेट रॉकेट 'विक्रम एस' को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। विक्रम एस को सुबह 11:30 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। बता दें कि भारत के पहले निजी रॉकेट 'विक्रम-एस' का नामकरण विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है। रॉकेट का निर्माण "स्काईरूट एयरोस्पेस" ने किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की प्राइवेट स्पेस इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि कहते हुए मील का पत्थर बताया है।
लॉन्चिंग के बाद विक्रम एस रॉकेट हाइपरसोनिक स्पीड यानी आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से अंतरिक्ष की ओर गया। बता दें कि इस रॉकेट का निर्माण करने वाली स्काईरूट कंपनी चार साल पुरानी है। विक्रम एस रॉकेट को लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मदद की। इस मिशन को 'Mission Prarambh' नाम दिया गया है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पीएम मोदी ने ट्ववीट कर कहा- भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित रॉकेट विक्रम-एस ने आज श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी! यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसरो और इनस्पेस को बधाई।
विक्रम-1 अगले साल लॉन्च होगा
स्काईरूट विक्रम रॉकेट के तीन संस्करण विकसित कर रहा है, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। विक्रम-I पृथ्वी की निचली कक्षा में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है, वहीं विक्रम-II 595 किलोग्राम कार्गो को उठाने में सक्षम है। इस बीच, विक्रम-III 815 किलोग्राम से 500 किलोमीटर कम झुकाव वाली कक्षा के साथ लॉन्च कर सकता है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह शुक्रवार को श्रीहरिकोटा पहुंचे। ट्विटर पर जितेंद्र सिंह ने स्काईरूट एयरोस्पेस के टीम के सदस्यों के साथ एक तस्वीर शेयर की, जिसे उन्होंने लिखा, श्रीहरिकोटा में #StartUp टीम" स्काईरूट एयरोस्पेस के साथ, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई नाम पर पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस के लॉन्च करने से कुछ मिनट पहले। उल्टी गिनती शुरू!"
भारत के लिए यह लॉन्च क्यों बड़ी है?
विक्रम एस की लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो अब तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एकमात्र डोमेन के अंतर्गत रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी रॉकेट और मिशन को अंतरिक्ष में विकसित करने, डिजाइन करने और लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
स्काईरूट एयरोस्पेस क्या है?
मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल से सीड फंडिंग के साथ 2018 में IIT खड़गपुर और IIT मद्रास के पूर्व छात्र पवन चंदना और भरत डाका के नेतृत्व में कंपनी (स्काईरूट एयरोस्पेस) की शुरुआत हुई थी। इसने सीरीज ए फंडिंग में 11 मिलियन डॉलर जुटाए और 2021 में रॉकेट के विकास के लिए अपनी सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
Vikram-S रॉकेट में थ्रीडी-प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन लगे हैं, जिसका परीक्षण नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में पिछले साल 25 नवंबर को किया गया था। इस रॉकेट के जरिए सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बता दें कि इस रॉकेट का वजन 545 किलोग्राम है।
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