TrendingT20 World Cup 2026Bangladesh ViolencePollution

---विज्ञापन---

स्वतंत्रता सेनानियों के इस गांव में क्यों नहीं फहराया तिरंगा? जानें नोएडा का ये गांव क्यों है नाखुश

Independence Day: आज पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा है। देश को आजाद कराने में बहुत से लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है। आज आपको बताएंगे ऐसे गांव के बारे में जो कभी शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की शरणस्थली बना था।

Independence Day: देशभर में हर घर तिरंगा अभियान चलाया गया, पूरा देश तिरंगे के रंगों से रंगा हुआ है। जिस तरह से लोग आज आजाद जिंदगी जीते है उसके पीछे कई हजारों लोगों की कुर्बानियां हैं। आज हम आपको बताएंगे नलगढ़ा के बारे में जो अब नोएडा के सेक्टर 145 का हिस्सा है। इस जगह ने आजादी की लड़ाई के दौरान भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को छिपने की जगह दी थी। हालांकि यहां के लोग उनके ऐतिहासिक महत्व के लिए मान्यता और उचित स्मारकों की कमी पर अफसोस जताते हैं।

नलगढ़ा की कहानी

नलगढ़ा को देश की आजादी में मदद करने वाली जगह के तौर पर माना जाता है। जब भारत के लोग आजादी के लिए लड़ रहे थे, अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर जंगे लड़ रहे थे तब एक एक ऐसा इलाका अस्तित्व में आया जिसने देश के स्वतंत्रता सेनानियों को शरण दी, ताकि वो अपनी लड़ाई को जारी रख सकें। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर एक पत्थर है जिसके बारे में माना जाता है कि इसी में आजादी के दौरान बम बनाने के लिए रसायन मिलाया गया था, जो अब गांव के गुरुद्वारे में एक रखा हुआ है।

बंजारों का वेश बनाकर पहुंचे थे क्रांतिकारी

17 दिसंबर 1928 को लाहौर में महान देशभक्त लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज करने वाले लेफ्टिनेंट सैंडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने गुप्त रूप से बंजारों का वेश धारण किया था। इसके बाद वो बिहारी लाल के फार्म हाउस पर आये. उस समय यह क्रांतिकारियों का गुप्त प्रशिक्षण केंद्र था। इसके बाद उनका यहां आना-जाना नियमित रहा। इतना ही नहीं, 8 अप्रैल, 1929 को जब पब्लिक सेफ्टी बिल (नागरिक स्वतंत्रता छीनने वाला बिल) पेश होने वाला था, तब सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में दो बम फेंके थे. जन आंदोलन. यह यमुना और हिंडन के बीच एक सुरक्षित स्थान था।

यहां के लोग हैं नाखुश

स्थानीय लोग जो खुद को स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज कहते हैं, जिन्होंने भगत सिंह के साथ लड़ाई लड़ी यह इतिहास है जो उन्हें गर्व से भर देता है। लेकिन लोग अपने नायकों की "उपेक्षा" और स्वतंत्रता आंदोलन के साथ गांव के गहरे संबंध को चिह्नित करने के लिए एक स्मारक की कमी को लेकर नाखुश हैं। गांव वाले लगातार यहां पर स्वतंत्रता सेनानियों के स्मारक बनाने की मांग करते आ रहे हैं। जिस तरह से देश में हर घर तिरंगा है यहां पर उसकी कमी दिखती है।


Topics:

---विज्ञापन---