Independence Day: फ्रीडम फाइटर्स के आश्रितों को पेंशन और नौकरी में आरक्षण का लाभ देती है ये स्कीम; जानें कौन हैं हकदार
Independence Day, नई दिल्ली: भारत को गुलामी की जंजीरों से निकले 76 साल हो चले हैं। 15 अगस्त को 'Nation First, Always First' के थीम के तहत मनाए जा रहे स्वतंत्रता दिवस पर न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य या और नीचे के स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में भी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार को विशेष सम्मान दिया जाता है। इतना ही नहीं, एक सरकारी योजना के तहत इनके परिजनों को पेंशन और नौकरी या दाखिले आदि में भी आरक्षण लाभ मिलता है, लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे ये पाने के पात्र कौन हैं। News 24 हिंदी इस जानकारी से अवगत करा रहा है। आइए जानें सरकार की इस खास स्कीम के बारे में वो सबकुछ, जो आपको इसका पात्र साबित करता है...
योजना का नाम और मौजूदा लाभाथियों का आंकड़ा
- स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को सम्मानित करने के लिए 1972 में आजादी के रजत जयंती उत्सव (Silver Jubilee Of Indian Independence) के मौके पर भारत सरकार ने 'स्वतंत्र सैनिक सम्मान' योजना शुरू की थी।
- 1980 में इस योजना को विस्तृत रूप देते हुए इसका नाम बदलकर 'स्वतंत्र सैनिक सम्मान पेंशन योजना' रख दिया गया। बाद में इसे फिर से संशोधित करके वापस 'स्वतंत्र सैनिक सम्मान' योजना कर दिया गया।
- गृह मंत्रालय की बेवसाइट के अनुसार मौजूदा स्थिति में देशभर में 13013 स्वतंत्रता सेनानियों के 23566 आश्रित लाभार्थी हैं।
- स्वतंत्रता सेनानी कोटे में सिर्फ तीसरी पीढ़ी तक यानि स्वतंत्रता सेनानी के बेटे-बेटियों और पोता-पोतियों को ही आरक्षण का लाभ मिल सकता है।
- 1980 तक इस योजना के सिर्फ आर्थिक सहायता के पात्र स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन मिलती थी। 1980 के बाद इसका लाभ सभी स्वतंत्रता सेनानियों को दिया गया।
- जिन सेनानियों को ब्रिटिश सरकार में कम से कम 6 महीने की अवधि का कारावास मिली हो, वो इसके पात्र हैं। महिलाओं और एसटी-एससी वर्ग के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यह निर्धारण 3 महीने का है।
इन 33 में से कम से कम किसी एक आंदोलन में शामिल व्यक्ति को माना जाता है स्वतंत्रता सेनानी
- 1943 में भारत छोड़ो आंदोलन और अम्बाला कैंट के दौरान ‘स्वेज नहर सेना विद्रोह’
- झांसी रेजिमेंट केस (1940)
- आईएनए में झांसी रानी रेजिमेंट और आजाद हिंद फ़ौज
- 1940 में कलकत्ता में नेताजी सुभाष बोस द्वारा आयोजित हॉलवेल विद्रोह आंदोलन
- रॉयल भारतीय नौसेना विद्रोह, 1946
- खिलाफत आंदोलन (1919)
- हर्ष चीन मोर्चा (1946-47)
- मोपला विद्रोह (1921-22)
- हैदराबाद राज्य में आर्य समाज आंदोलन (1938-39)
- मदुरई षडयंत्र केस (1945-47)
- ग़दर पार्टी मूवमेंट (1913)
- गुरुद्वारा सुधार आंदोलन (1925-25) जिसमें तरनतारन मोर्चा, नैनकाना त्रासदी फरवरी (1920), स्वर्ण मंदिर के मामले (मोर्चा चाबियन साहेब), गुरु का बाग मोर्चा, बाबर अकाली आंदोलन, जैतो मोर्चा, भाई फेरु मोर्चा और सिख षडयंत्र (स्वर्ण मंदिर) 1924 शामिल हैं।
- प्रजा मंडल आंदोलन (1939-94)
- कीर्ति किसान आंदोलन (1927)
- नवजवान सभा (1926-31)
- दांडी मार्च (1930)
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- भारतीय राष्ट्रीय सेना (1942 से 1946)
- भारत में फ्रांसीसी और पुर्तगाल शासन का भारत में विलय आंदोलन
- पेशावर काण्ड -1930 (जिसमे गढ़वाल राइफल्स के सदस्यों ने भाग लिया था)
- चौरा चौरी कंड (1922)
- जलियांवाला बाग नरसंहार, (1919)
- कर्नाटक का अरन्या सत्याग्रह (1939-40)
- गोवा लिबरेशन मूवमेंट
- कलीपट्टणम आंदोलन (1941-42)
- कल्लाड़ा-पांगोड मामला
- कडककल दंगा प्रकरण
- कयूर आंदोलन
- मोराजा आंदोलन
- मालाबार विशेष पुलिस स्ट्राइक
- दादरा नगर हवेली आंदोलन
- गोवा लिबरेशन मूवमेंट, चरण द्वितीय
- कूका नामधारी आंदोलन, (1871)
योजना के लाभ के लिए इन दस्तावेजों की पड़ती है जरूरत
- शहीदों के आश्रितों को अपने आधिकारिक रिकॉर्ड से उपयुक्त दस्तावेज एवं उपयुक्त समय के समाचार पत्र जमा कराने होंगे।
- जेल यात्री स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित जेल अधिकारीयों, जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार से प्राप्त प्रमाण पत्र दिखाना होगा।
- गुप्त स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रहे लोगों के परिवारों को अनुपस्थिति के रूप में घोषित करने वाले न्यायालयों या सरकारी आदेशों संबंधी कागज प्रस्तुत करना होगा।
- आजादी की लड़ाई में शहीद हो गए सेनानियों के आश्रितों को उनका जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र भी देना होगा।
- बीते वक्त की किसी घटना के बारे में गौरवशाली व्यक्ति से सिफारिश का प्रमाण भी इसके लिए मान्य है।
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