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कैसे हर भारतीय को मिला तिरंगा फहराने का ‘सुप्रीम’ अधिकार? नवीन जिंदल ने दिया हर सवाल का जवाब

Businessman Naveen Jindal on Tiranga: नवीन जिंदल देश के फेमस उद्योगपति हैं। उन्होंने तिरंगा फहराने का हक दिलाने के लिए दशकों तक कानूनी लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

नवीन जिंदल
Businessman Naveen Jindal on Tiranga national flag of India: कारोबारी नवीन जिंदल का नाम कौन नहीं जानता है। नवीन जिंदल की वजह से ही आज हर भारतीय को तिरंगा फहराने का अधिकार मिला है। एक समय था जब सभी लोग तिरंगा नहीं फहरा सकते थे। सिर्फ खास लोग ही खास मौकों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते थे, लेकिन जिदंल ने कानूनी लड़ाई लड़कर लोगों को उनका हक दिलाया। नवीन जिंदल ने इसके लिए दशकों तक लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्होंने 22 सितंबर 1995 को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके द्वारा चलाई गई मुहिम की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने भारत के ध्वज कोड में बदलाव का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। नवीन जिंदल ने इससे जुड़े कई सवालों का जवाब दिया है। जब उनसे पूछा गया कि तिरंगा आपके लिए क्या मायने रखता है? तो उन्होंने कहा कि तिरंगा, हमारा प्रिय राष्ट्रीय ध्वज है और यह एक प्रतीक से कहीं अधिक है। यह भारत की अदम्य भावना का जीवंत प्रमाण है। मेरे लिए यह हमारे लोगों के सामूहिक सपनों, संघर्षों और जीत का प्रतिनिधित्व करता है। ये भी पढ़ें-बड़े पैमाने पर AI अपनाने जा रही है ये कंपनी, 8000 नौकरियों पर होगा असर जिंदल ने आगे कहा कि यह एकता के प्रतीक के रूप में खड़ा है, हमें हमारी साझा विरासत और अविश्वसनीय विविधता की याद दिलाता है जो हमारे देश को अद्वितीय बनाती है। तिरंगे का प्रत्येक रंग एक कहानी कहता है और मेरे लिए यह साहस, शांति और जीवंतता के आदर्शों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो भारत के सार को परिभाषित करते हैं। कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला-जिंदल सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद पिछले कुछ वर्षों में आपने क्या बदलाव देखा है? पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 2004 का ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे देश की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। पिछले कुछ वर्षों में मैंने भारतीयों द्वारा हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने के तरीके में एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा है। जिंदल ने आगे कहा कि विशिष्ट अवसरों पर सीमित प्रदर्शन से अब तिरंगा पूरे वर्ष गर्व से घरों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों की शोभा बढ़ाता है। यह रोजमर्रा की देशभक्ति का प्रतीक बन गया है और हमारे लोगों के लचीलेपन का प्रमाण है। मानसिकता में यह सकारात्मक बदलाव मुझे गर्व और आशावाद से भर देता है, जो नागरिकों और हमारी राष्ट्रीय पहचान के बीच गहरे संबंध का संकेत देता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको तिरंगे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए क्या मजबूर होना पड़ा? तो उन्होंने कहा कि तिरंगा फहराने के अधिकार के लिए मेरी कानूनी लड़ाई इस विश्वास में निहित थी कि प्रत्येक भारतीय को बिना किसी बाधा के देश के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यह नौकरशाही की बाधाओं को तोड़ने के बारे में था, जिसने देशभक्ति के सार को दबा दिया था। मौलिक अधिकार की लड़ाई-जिंदल नवीन जिंदल ने आगे कहा कि एकता के प्रतीक इस झंडे को उस समय कुछ नियमों द्वारा अनुचित तरीके से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिससे आम नागरिकों को साल के 365 दिन इसे फहराने की अनुमति नहीं थी। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखने के मौलिक अधिकार की लड़ाई थी, न केवल मेरे लिए बल्कि हर उस नागरिक के लिए जो तिरंगे को गर्व के साथ और बिना किसी बाधा के प्रदर्शित करना चाहता था। जब उनसे पूछा गया कि क्या हर घर तिरंगा जैसे अभियान देशभक्ति की भावना जगाने में मदद करते हैं? तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल। हर घर तिरंगा जैसी पहल राष्ट्रीय गौरव और अपनेपन की गहरी भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि आम नागरिकों के पास अभी भी जानकारी का कुछ अभाव है। ये भी पढ़ें-भारत देखने के बाद इस पाकिस्तानी शख्स ने अपने ही देश को सुना दिया, जमकर लगा दी क्लास


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