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चीन-पाकिस्तान की खैर नहीं, दुश्मन को जवाब देने आ रहा Light Tank जोरावर, जानें इसकी 5 खासियतें

HomeMade Light Tank Zorawar: एलएसी पर चीन के मंसूबों पर नजर रखने के लिए भारत ने अपने स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर का अनावरण किया है। इसे पूर्वी लद्दाख इलाके में चीनी फौज पर नजर रखने के लिए तैनात किया जाएगा। इस टैंक को हल्का होने की वजह से आसानी से ले जाया जा सकता है।

Light Tank Zorawar: भारत ने अपने स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर का अनावरण किया है। इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा। चीन की हरकतों को जवाब देने में सक्षम जोरावर को अचूक हथियार माना जा रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने खास तौर पर डिजाइन किए इस टैंक का गुजरात के हजीरा में परीक्षण किया है। जोरावर को पूरी तरह भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए खास तौर पर बनाया गया है। पूर्वी लद्दाख में चीन को जवाब देने के लिए इसे आसानी से लाया और ले जाया जा सकता है। डीआरडीओ के अलावा निजी क्षेत्र की भारतीय फर्म लार्सन एंड टुब्रो (L&T) भी इसे डेवलप करने में जुटी हुई है। इसका परीक्षण अंतिम चरण में है। 12 से 18 माह की अवधि में इसे सेना को हैंडओवर किया जा सकता है।

डीआरडीओ की शानदार उपलब्धि, दुश्मन थर्राएंगे

ऐसा माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन जंग से सबक लेते हुए इस बार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और एलएंडटी ने लोइटरिंग म्यूनिशन में यूएसवी को फिट कर टैंक को कारगर बनाया है। भारत को फिलहाल गोला-बारूद की आपूर्ति बेल्जियम से हो रही है। लेकिन डीआरडीओ की ओर से स्वदेशी गोला-बारूद के निर्माण को लेकर भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने बताया कि हजीरा में लार्सन एंड टूब्रो प्लांट में टैंक के डेवलपमेंट को लेकर परीक्षण किया गया है। टैंक को काफी कम समय में विकसित किया गया है। जो डीआरडीओ की शानदार उपलब्धि है। यह भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है। उम्मीद है कि इसे 2027 तक भारतीय सेना में शामिल कर लिया जाएगा। इतने लाइट टैंक को एक्शन में देखना उनके लिए गर्व की बात है। यह भी पढ़ें:‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कितना खतरनाक? केरल में अब किशोर मिला संक्रमित, 3 बच्चों की हो चुकी मौत हर भारतीय के लिए ये खुशी का दिन है। न केवल सिर्फ 2 साल में इसको डिजाइन किया गया है, बल्कि पहला प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया गया है। अगले 6 महीने तक प्रोटोटाइप का परीक्षण किया जाएगा। डीआरडीओ टैंक लैब के निदेशक राजेश कुमार ने भी स्वदेशी हल्के टैंक के निर्माण को लेकर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि टैंक ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन को सबक सिखाएगा। जोरावर सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। चीन, रूस के अलावा दुनिया के कई देश ऐसे टैंक बना रहे हैं। आग, गति और सुरक्षा के लिहाज से जोरावर को काफी मजबूत बनाया जा रहा है। आमतौर पर भारी, हल्के और मध्यम 3 प्रकार के टैंक होते हैं। सभी की अपनी खूबियां होती हैं। यह भी पढ़ें:जन्म से गूंगा-बहरा आदर्श कैसे बन गया Robot Boy? आसान नहीं रहा बेगूसराय के लाल का संघर्ष

जोरावर में क्या-क्या खूबियां?

  1. जोरावर सिर्फ 25 टन भारी है। जिसके कारण इसे आसानी से खड़ी चढ़ाई पर ले जाया जा सकता है। जबकि टी-72 और टी-90 जैसे टैंक ऐसा नहीं कर सकते।
  2. जोरावर नदियों और जल निकायों को पार करने में सक्षम है। इसे उभयचर तकनीक से बनाया गया है।
  3. इन टैंकों को प्लेन, हेलिकॉप्टर से भी ले जाया जा सकता है। सी-17 विमान से एकसाथ दो टैंक ले जाए जा सकते हैं।
  4. जोरावर में 105 एमएम की मुख्य कैलिबर बंदूक इंस्टॉल की जाएगी। जो एंटी गाइडेड मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। इसका मॉड्यूल विस्फोटकरोधी है।
  5. भारतीय सेना को पहले 59 टैंक दिए जाएंगे। जिनको बख्तरबंद वाहनों के कार्यक्रम में अग्रणी की भूमिका के लिए बनाया गया है।


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