Gautam Adani News: अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने IIT खड़गपुर के प्लैटिनम जुबली सेशन में हिस्सा लिया। IIT खड़गपुर के 75वें स्थापना दिवस पर सेशन आयोजित किया गया है, जिसमें छात्रों को संबोधित करते हुए गौतम अडानी ने कहा कि देश के बड़े शैक्षणिक संस्थान के प्लैटिनम जुबली सेशन में हिस्सा लेना मेरे लिए सम्मान की बात है। पहली बार खड़गपुर आया हूं और यह जानकर काफी गर्व महसूस हुआ कि खड़गपुर की धरती देश की आजादी के लिए किए गए स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रही है।
वंदे मातरम नारे को शहीदों का वादा बताया
गौतम अडाणी ने कहा कि खड़गपुर की धरती पर खड़े होकर वास्तव में बहुत अच्छा लग रहा है, जहां की जेलों में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को कभी अंग्रेजों ने कैद किया था। वे स्वतंत्रता सेनानी, जिनकी उम्र छात्रों से भी कम थी। स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिया गया 'वंदे मातरम' का नारा एक नारा नहीं था, आजादी का बिगुल था। भारतीयों के खून और बलिदान से ओत-प्रोत और एक अटूट संकल्प का वादा था। एक वादा था कि भारत की स्वतंत्रता उन लोगों के बाद भी जीवित रहेगी, जिन्होंने हमारे लिए अपनी जान दे दी।
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देश के एक्सपोर्ट को लेकर बोले अडाणी
गौतम अडाणी ने कहा कि इसरो के चंद्रयान से लेकर आधार कार्ड तक, UPI से लेकर कोरोना वैक्सीन तक केंद्र सरकार की देन हैं, जिन्होंने हमारी आधुनिक अर्थव्यवस्था की नींव रखी है। टेक्नोलॉजिकल इंडिपेंडेंसी की बात करें तो 90 प्रतिशत सेमीकंडक्टर एक्सपोर्ट किए जाते हैं, जिसमें एक भी रुकावट देश की डिजिटल इकोनॉमी को विकसित होने से रोक सकता है। एनर्जी की बात करें तो 85 प्रतिशत तेल भारत आयात करता हैं और इस मामले में एक भी रुकावट देश के पूर्व विकास को पूरी तरह बाधित कर सकती है।
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इंडिपेंडेंसी की स्वतंत्रता को अनिवार्य बताया
गौतम अडाणी ने कहा कि सैन्य क्षेत्र की बात करें तो देश के कई रक्षा उपकरण और डिफेंस सिस्टम एक्सपोर्ट किए गए हैं, जिससे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अन्य देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति के अधीन हो जाती है, लेकिन अब इस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना होगा। आत्मनिर्भरता की स्वतंत्रता हासिल करनी होगी, अगर हम भारत को वास्तव में स्वतंत्र देखना चाहते हैं तो मेक इन इंडिया पर फोकस करना होगा।
गौतम अडाणी ने कहा कि दुनिया पारंपरिक युद्ध से टेक्नोलॉजी बेस्ड युद्धों की ओर बढ़ रही है, लेकिन हमारी युद्ध के लिए तैयारी की क्षमता ही हमारा भविष्य तय करेगी। क्योंकि आज हमें जो युद्ध लड़ने हैं, वे सर्वर फॉर्म में लड़े जाते हैं, मैदानों और खाइयों में नहीं। हथियार एल्गोरिदम होते हैं, बंदूकें नहीं। साम्राज्य जमीन पर नहीं बनते, डेटा केंद्रों में बनते हैं। सेनाएं बॉटनेट होती हैं, बटालियन नहीं।