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G20 Summit: दुनिया को मिला चीन के BRI का विकल्प, G-20 समिट में ऐतिहासिक इकोनाॅमिक काॅरिडोर का ऐलान

G-20 Summit India Europe Middle East Economic Corridor Deal: भारत की राजधानी नई दिल्ली में जारी जी-20 समिट के मंच से एक ऐतिहासिक काॅरिडोर की घोषणा हुई है। यह काॅरिडोर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप को जोड़ेगा। इस काॅरिडोर में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इटली की भागीदारी होगी। जी-20 सम्मेलन में […]

G-20 Summit New Delhi
G-20 Summit India Europe Middle East Economic Corridor Deal: भारत की राजधानी नई दिल्ली में जारी जी-20 समिट के मंच से एक ऐतिहासिक काॅरिडोर की घोषणा हुई है। यह काॅरिडोर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप को जोड़ेगा। इस काॅरिडोर में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और इटली की भागीदारी होगी। जी-20 सम्मेलन में इस ऐतिहासिक काॅरिडोर की घोषणा को चीन के लिए संदेश कहा जा सकता है। काॅरिडोर की घोषणा पर अमेरिका ने कहा कि यह एक बड़ी डील है। बता दें कि पूर्व में चीन इस योजना का विरोध करता रहा है।

काॅरिडोर पूरे विश्व को दिखाएगा राह- पीएम मोदी

वहीं पीएम मोदी ने इस काॅरिडोर की घोषणा पर कहा कि जी-20 समिट में इस बार एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की थीम रखी गई है। पीएम मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में टिकाऊ, लचीले बुनियाद ढांचे का निर्माण, बुनियादी ढांचे में निवेश करना और बेहतर भविष्य के निर्माण पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह काॅरिडोर पूरे विश्व को एक राह दिखाएगा। यह काॅरिडोर 10 साल में बनकर पूरा होगा।

दुनिया को मिला BRI का विकल्प

इस डील का सबसे ज्यादा फायदा गरीब और मिडल इनकम वाले देशों को होगा। इस ऐतिहासिक घोषणा पर अमेरिका के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जाॅन फिनर ने कहा कि इसके नतीजों के लिए हमें और इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका के प्रेसिडेंट बाइडेन चीन के मामले में काफी नरम रवैया रखते है। लेकिन इस बार भारत में उनके तेवर भी बदले-बदले से हैं। दुनिया को बीआरआई के सामने एक विकल्प मिला है। इसमें भारत और यूरोप के कई देश अमेरिका के साथ है।

रेल-पोर्ट के जरिए जुड़ेगा भारत

अब मध्य-पूर्वी देश भारत और यूरोप के साथ रेल और पोर्ट दोनों के जरिए जुड़ेंगे।सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ऑयल इकोनाॅमी को बिजनेस बेस्ड बनाना चाहते हैं। पिछले कुछ समय से चीन यूएई और सऊदी अरब में दबदबा बढ़ाना चाहता है। इससे भारत और अमेरिका को कमजोर करना चाहता है। ये साझेदारी इसलिए भी अहम है क्योंकि कोरोना महामारी के बाद चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है। इस डील में करीब-करीब 27 देश इस यूनियन से होंगे।


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