सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में जानकारी दी कि भारत में 200 देशों के 72,218 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं. प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस'(IoE) का दर्जा देने के लिए शुरू की गई वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूशनस स्कीम की शुरुआत के बाद से 8 पब्लिक संस्थानों के लिए 6,198.99 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब 2014-15 में भाजपा की सरकार बनी, तब QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 11 उच्च शिक्षण संस्थान थे. अब यह संख्या 54 हो गई है. साथ ही उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा अब तक का सबसे ज्यादा है.
मजूमदार ने कहा, "भारत में 200 देशों से करीब 72,218 विदेशी छात्र हैं, जो अलग-अलग कोर्स में पढ़ रहे हैं." उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़ने के लिए कई कदम उठा रही है.
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मजूमदार ने बताया कि सरकार ने 10 पब्लिक और 10 प्राइवेट उच्च शिक्षण संस्थानों को 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' का दर्जा देने के लिए 'वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूशनस स्कीम' शुरू की थी. इसके पीछे उन्हें विश्व स्तरीय शिक्षण और रिसर्च इंस्टीट्यूशन बनाना मकसद है. अब तक कुल 12 संस्थानों को IoE के रूप में अधिसूचित किया गया है, इनमें 8 पब्लिक और 4 प्राइवेट संस्थान हैं.
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उन्होंने आगे बताया, "इस योजना के तहत केवल पब्लिक संस्थानों को ही धनराशि दी जा रही है. स्कीम की शुरुआत से लेकर अब तक 8 पब्लिक संस्थानों के लिए 6,198.99 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए मोदी सरकार नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 लेकर आई थीं. मंत्रालय ने कहा, "भारत सरकार द्वारा NEP-निर्देशित पहलों की वजह से भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों की QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग समेत इंटरनेशनल रैंकिंग में सुधार हुआ है.
साथ ही बताया कि पिछले पांच वर्षों में QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग आने वाले भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गई है. यह संख्या 2021 में 27 थी जो अब बढ़कर 54 हो गई.