TrendingIsrael Hezbollah WarHaryana Assembly Election 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Aaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

ब्रेन डेड व्यक्ति के परिवार ने की पहल; AIIMS में अंगदान से बचाई गई पांच लोगों की जान

नई दिल्ली: दिल्ली स्थित एम्स में हादसे के बाद भर्ती कराए गए एक 59 वर्षीय शख्स को ब्रेन डेड घोषित किया गया। शख्स की मौत के बाद परिवार वालों ने उनके अंगदान पर सहमति जताई। इसके बाद पांच लोगों की जान बचाई गई है। परिवार की अनुमति से लीवर, किडनी, हृदय और कॉर्निया दान किया […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: May 3, 2023 20:44
Share :

नई दिल्ली: दिल्ली स्थित एम्स में हादसे के बाद भर्ती कराए गए एक 59 वर्षीय शख्स को ब्रेन डेड घोषित किया गया। शख्स की मौत के बाद परिवार वालों ने उनके अंगदान पर सहमति जताई। इसके बाद पांच लोगों की जान बचाई गई है। परिवार की अनुमति से लीवर, किडनी, हृदय और कॉर्निया दान किया गया।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक रूपचंद्र सिंह (59) 30 अप्रैल को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए थे। परिवार वालों ने बताया कि वे अपने बेटे के साथ बाइक से कहीं जा रहे थे। तब उनका हादसा हुआ। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ट्रॉमा सेंटर लाया गया। जहां मंगलवार को ब्रेन डेड (मृत) घोषित कर दिया गया।

काउंसलिंग के बाद तैयार हुआ परिवार

एम्स के कर्मचारियों ने कहा कि ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन (ओआरबीओ) ट्रांसप्लांट काउंसलर और कोऑर्डिनेटर की काउंसलिंग के बाद रूपचंद्र का परिवार अंगदान के लिए राजी हुआ। शुरुआत में परिवार को अंगदान के बारे में पता नहीं था, लेकिन इसके संबंध में ओआरबीओ प्रत्यारोपण सलाहकारों और समन्वयकों ने परिवार के साथ बातचीत की।

59 वर्षीय रूपचंद्र सिंह, जिनके अंगदान से पांच लोगों की जान बचाई गई है। (फाइल फोटो)

एक अन्य अंगदान कर्ता के भाई सूर्य प्रताप सिंह ने भी परिवार के साथ अपने अनुभवों ने साझा किया। इसके बाद रूपचंद्र के परिवार ने सर्वसम्मति से अंग दान के लिए अपनी सहमति दी। ओआरबीओ एम्स की प्रमुख डॉ. आरती विज ने कहा कि परिवार के लिए अंगदान के बारे में फैसला करना बहुत कठिन है। खासकर सड़क दुर्घटना जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में, जिसमें परिवार सदमे की स्थिति होता है।

इन विभागों का रहा सहयोग

हालांकि, जब कोई परिवार यह साहसिक निर्णय लेता है, तो सभी पक्षों, जैसे इलाज करने वाले डॉक्टर, प्रत्यारोपण समन्वयक, अंग प्रत्यारोपण टीम, फोरेंसिक विभाग, पुलिस, सहायक विभाग इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बहुत तेजी से काम करते हैं।

रूपचंद्र के बेटे नागेंद्र ने कहा कि मेरे पिता बहुत ही दयालु और सामाजिक इंसान थे। हमने उन्हें बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से खो दिया। यह हमारी इच्छा है कि उनके अंग दूसरों को जीवन प्रदान करें, जो जिंदगी से जंग लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वह जीवित थे तो उन्होंने हमेशा लोगों की मदद की और आज वे हमसे अलग हुए तब भी दूसरों की मदद कर रहे हैं।

इन अस्पतालों में पहुंचाए गए अंग

रूपचंद्र सिंह के अंगों को राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के माध्यम से पीड़ितों को आवंटित किया गया है। एम्स की ओर से बताया गया है कि रूपचंद्र का दिल को अपोलो अस्पताल (दिल्ली), लिवर को आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल), किडनी एम्स और आरएमएल अस्पताल को आवंटित किया गया है। जबकि उनके कॉर्निया को एम्स के नेशनल आई बैंक में रखा गया है।

डॉ. आरती विज ने बताया कि यह महत्वपूर्ण है कि प्राप्त अंग समय सीमा में ही विभिन्न अस्पतालों में प्राप्तकर्ताओं तक सुरक्षित रूप से पहुंचे हैं। ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए ओआरबीओ ने दिल्ली ट्रैफिक कंट्रोल रूम की मदद ली थी, जिसके बाद दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न अस्पतालों में अंगों का तेजी से स्थानांतरण सुनिश्चित किया है।

HISTORY

Written By

Naresh Chaudhary

First published on: May 03, 2023 08:44 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें
Exit mobile version