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Fali S Nariman कौन थे, जिन्होंने आर्टिकल 370 पर दिए फैसले का किया विरोध; इंदिरा गांधी से भी थी नाराजगी

Fali S Nariman Passes Away: प्रख्यात न्यायविद और सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील फली एस नरीमन का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने एनजेएसी फैसले समेत कई ऐतिहासिक मामलों में बहस की। नरीमन ने इंदिरा गांधी के एक फैसले के खिलाफ 1975 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पद से भी इस्तीफा दिया था।

Fali S Nariman Passes Away: कौन थे फली एस नरीमन?
Fali S Nariman Passes Away: सुप्रीम कोर्ट के वकील और जाने माने न्यायविद फली एस नरीमन का निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। वे एनजेएसी फैसले समेत कई ऐतिहासिक मामलों में बहस में शामिल रहे। उन्होंने 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले के खिलाफ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पद से इस्तीफा दे दिया था। आइए, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं...

कौन थे फली एस नरीमन?

फली एस नरीमन सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील और लोगों की आवाज थे। वे नागरिक स्वतंत्रता के कट्टर समर्थक थे। उनकी न्यायिक विकास के बारे में आलोचनात्मक राय बहुत मायने रखती थी। उन्होंने अनुच्छेद 370 (Article 370) मामले में दिए गए फैसले की भी आलोचना की थी। उनके बेटे रोहिंटन नरीमन एक वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट के जज हैं। वे महत्वपूर्ण एससी एओआर एसोसिएशन मामले में भी शामिल थे, जिसके कारण कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ। जून 1975 में उन्होंने इमरजेंसी पर इंदिरा गांधी सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से इस्तीफा दे दिया था।

युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है नरीमन की आत्मकथा

नरीमन की आत्मकथा 'बिफोर मेमोरी फ़ेड्स' काफी पढ़ी जाने वाली किताब है। यह कानून के छात्रों और युवा वकीलों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करती है। इसके साथ ही उन्होंने 'द स्टेट ऑफ नेशन' और 'गॉड सेव द ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट' किताब भी लिखी। यह भी पढें: ‘असंवैधानिक, इंफॉर्मेशन एक्ट का उल्लंघन’; 7 पॉइंट में पढ़ें Electoral Bonds पर सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला

वकील समुदाय के 'भीष्म पितामह' का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति

मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह बहुत दुखद समाचार है कि प्रख्यात न्यायविद् फली एस नरीमन का निधन हो गया है। उन्हें वकील समुदाय का भीष्म पितामह भी माना जाता था। वे एक महान वकील और हमारे परिवार के करीबी दोस्त थे। इस महत्वपूर्ण समय में उनका निधन हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। यह भी पढें: Electoral Bonds Scheme पर क्यों लगी रोक? आसान शब्दों में समझें सुप्रीम कोर्ट का फैसला


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