रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश में यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को नए प्रतिबंधों की सूची जारी की है। इसमें रूसी कच्चे तेल की कीमत को कम करना और रूसी ऊर्जा दिग्गज रोसनेफ्ट से जुड़ी भारत में मौजूद रिफाइनरी, नायरा एनर्जी लिमिटेड पर प्रतिबंध शामिल है। यह पहली बार है जब यूरोपीय संघ ने भारत पर प्रतिबंध लगाए हैं। इस पर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है।
'भारत एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता'
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को रूस पर प्रतिबंध लगाने के यूरोपीय संघ के "एकतरफा" कदम के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया और ऊर्जा व्यापार में उसके "दोहरे मापदंड" की बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमने यूरोपीय संघ द्वारा घोषित नए प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है। भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता है। हम एक जिम्मेदार राष्ट्र हैं और अपने कानूनी दायित्वों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा के प्रावधान को अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मानती है। हम इस बात पर जोर देंगे कि दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो।
नायरा एनर्जी लिमिटेड के बारे में
बता दें कि रूसी ऊर्जा दिग्गज रोसनेफ्ट से जुड़ी रिफाइनरी नायरा एनर्जी लिमिटेड, गुजरात के वाडिनार में 2 करोड़ टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली रिफाइनरी का संचालन करती है। इसे पहले एस्सार ऑयल लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। यह रिफाइनरी भारत में 6,750 से अधिक पेट्रोल पंपों के खुदरा नेटवर्क को तेल मुहैया करवाती है। इस कंपनी में 49.13% हिस्सेदारी रोसनेफ्ट की है।
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यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद नायरा अब यूरोपीय देशों को पेट्रोल और डीजल जैसे उत्पादों का निर्यात नहीं कर सकेगी। इसके साथ ही रूस के 105 जहाजों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, यूरोपीय संघ के इस पैकेज में 20 और रूसी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से बाहर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि यूरोपीय संघ का यह कदम तब सामने आया है जब यह पता चला कि मौजूदा प्रतिबंधों के बावजूद रूस तेल निर्यात से अच्छी-खासी कमाई कर रहा है।