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बिहार चुनाव से पहले 334 दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द, जानें इलेक्शन कमीशन ने क्यों चलाया हंटर?

चुनाव आयोग में इस साल जून से ऐसे ही 345 राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी। जांच पूरी होने के बाद अब 334 दलों को सूची से हटा दिया गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 2001 से आयोग ने ऐसे ही निष्क्रिय दलों को तीन से चार बार सूची से हटाया है।

चुनाव आयोग ने 334 दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने बड़ा कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने शनिवार को 334 राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। सूची से हटाए गए दल चुनाव लड़ने के लिए अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकते।आयोग ने बताया कि गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं।

अब देश में 2520 राजनीतिक दल बचे

आयोग का दावा है कि इन सभी दलों के कार्यालय भी नहीं थे। ये दल सिर्फ कागजों पर चल रहे थे। साथ ही ये 2019 से 6 साल तक एक ही चुनाव लड़ने की अनिवार्य शर्त को पूरा नहीं कर सके थे, जबकि इसके लिए इन सभी दलों से कई बार कहा गया था। चुनाव आयोग के इस कदम के बाद अब देश में 2520 राजनीतिक दल बचे हैं। मौजूदा समय में 6 राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय दल हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया राजनीतिक व्यवस्था में सुधार और उन दलों को सूची से हटाने के उद्देश्य से की गई है जिन्होंने 2019 के बाद से किसी भी लोकसभा, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा या उपचुनाव में भाग नहीं लिया है।

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जून में शुरू की थी कार्यवाही

बता दें कि चुनाव आयोग में इस साल जून से ऐसे ही 345 राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी। जांच पूरी होने के बाद अब 334 दलों को सूची से हटा दिया गया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, 2001 से आयोग ने ऐसे ही निष्क्रिय दलों को तीन से चार बार सूची से हटाया है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ऐसे दलों की मान्यता रद्द करने से रोक दिया था। इसके बाद आयोग ने इन दलों को सूची से हटाने के लिए एक तरीका खोज निकाला। जिसके बाद इन दलों को निष्क्रिय दिखाते हुए इन्हें सूची से हटाया गया है।

दोबारा सूची में जुड़ सकता है नाम

एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि सूची से हटाए गए दलों को चुनाव आयोग द्वारा बिना किसी नई मान्यता प्रक्रिया से गुजरते हैं तो उन्हें फिर से सूचीबद्ध किया जा सकता है।

जानिए क्यों हुआ एक्शन?

अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया राजनीतिक व्यवस्था में सुधार और उन दलों को सूची से हटाने के उद्देश्य से की गई है जिन्होंने 2019 के बाद से किसी भी लोकसभा, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा या उपचुनाव में भाग नहीं लिया है।

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