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सवा लाख की नौकरी का सपना बना काल, कुवैत में भारतीय इंजीनियर पर जुल्म की दास्तान

सवा लाख की नौकरी का सपना दिखाकर दिल्ली के इंजीनियर अमन भोला को कुवैत भेजा गया, जहां उससे 16–18 घंटे काम कराया गया और विरोध करने पर जेल भेज दिया गया. भूख हड़ताल के बाद भारत लौटे अमन अब अपने साथ हुए अत्याचार और भारतीय मजदूरों के शोषण के खिलाफ न्याय की मांग कर रहा है.

अच्छी नौकरी और पैसे की चाहत किसे नहीं होती है. देश में बेरोजगार युवाओं को अगर कोई विदेश में जॉब का सपना दिखाए, तो ये उसके लिए किसी ड्रीम जॉब से कम नहीं. इसी का फायदा उठाते हुए कई स्कैमर्स मासूम को फंसाकर विदेश में बंधुआ मजदूर की तरह रखते हैं. हाल ही में खाड़ी देश से एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसने एक बार फिर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है. विदेश में जॉब का सपना अमन भोला के लिए एक काल बनकर सामने आ गया.

दिल्ली के रहने वाले अमन भोला ने जब इंजीनियरिंग की ड्रिग्री हासिल की तो उन्हें नौकरी के लिए कई कंपनियों के दरवाजे खटखटाने पड़े. थक हार कर उन्हें एक कंपनी में जॉब तो मिली लेकिन वे अपने परिवार का खर्च चलाने में असमर्थ थे. लेकिन इसी बीच अमन की मुलाकात एक एजेंट से होती है जिसने मोटी तनख्वाह का लालच देकर कुवैत जाने के लिए कहा. परिवार में बड़ी बहन, बूढ़े माता पिता की खातिर इकलौता बेटा अमन कुवैत जाने के लिए राजी हो गया. क्योंकि कुवैत में हर महीने सवा लाख सैलरी और रहना-खाना फ्री देने की बात कही गई थी.

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शुरुवात के पहले महीने में अमन से आठ घंटे का काम करवाया गया, लेकिन दूसरे महीने से अमन के ऊपर दुखों का पहाड़ टूटना शुरु हो गया. कंपनी के लिए अमन को 16 से 18 घंटे काम करने पड़े. और एक वक्त ऐसा भी आया कि अमन ने 16 घंटे काम करने से इनकार कर दिया फिर क्या था, अमन के खिलाफ पुलिस में झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई. और इसे हिरासत में भेज दिया गया. जेल की दुनिया में भी अमन के साथ ज्यादती कम नहीं हुई थी. यहां पर उसे सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया गया कि उसने अपने ऊपर हुए अत्याचार का विरोध किया और दूसरे मजदूर और इंजीनियर जो 16 घंटे काम करने पर मजबूर थे. उन्हें एकजुट करना यह गुनाह हो गया.

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आपको बता दें कि हर पल खुश रहने वाला अमन कुवैत तो सवा लाख की सैलरी की लालच में गया था. लेकिन जब उसके पास पहले महीने की तनख्वाह आई तो वह सिर्फ 40 हजार रुपये ही थी. इसका विरोध करना ही अमन भोला को सलाखों के पीछे जाना पड़ा. अमन भोला ने किसी तरह अपने पिता जो केवल कृष्ण भोला से संपर्क करके अपन साथ हो रही ज्यादतियों के बारे मे बताया, बीमार पिता को तो पहले विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका होनहार बेटा कुवैत की जेल में बंद है और उसके साथ मारपीट भी की जा रही है. केवल कृष्ण ने तत्काल भारतीय दूतावास में संपर्क किया और पूरे मामले की जानकारी दी. लेकिन अमन भोला को तो अभी और ज्यादा प्रताड़ना झेलना बाकी था क्योंकि उसकी कंप्लेन की फाइल तो टेबल पर ही पड़ी रह गई थी. लेकिन एक दिन ऐसा भी आया कि अमन ने अपनी रिहाई के लिए जेल में ही भूख हड़ताल कर दिया. करीब एक हफ्ते तक उसने कुछ भी खाया पिया नहीं, हालांकि जेल प्रशासन की तरफ से उसे प्रताड़ित करके भोजन खिलाने की कोशिश की गई लेकिन अमन ने तो ठान लिया था कि जब तक उसे अपने देश नहीं भेजा जाएगा, और फ्रॉड कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तब तक वह भोजन नहीं करेगा.

अमन के इस भूख हड़ताल से उसका स्वास्थ्य काफी गिरने लगा और अमन बेहोश हो गया. आनन-फानन में अमन को जेल से बाहर निकाला गया. और सभी कानूनी प्रक्रिया को पूरी करके उसे दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया. दिल्ली आने के बाद अमन और उसके माता पिता सदमे में है. लेकिन अमन अब अपने ऊपर हुए अत्याचार और कुवैत में काम करने वाले भारतीय मजदूरों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ न्याय के लिए भटक रहा है.


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