Delhi Police Special Swat Commando Unit Training (राहुल प्रकाश, दिल्ली): एक गोली, अचूक निशाना और दुश्मन ढेर...यह पहचान होती है हाड़ ट्रेनिंग देकर तैयार किए गए कमांडो की, जिसका मकसद सिर्फ मारना होता है या फिर फिर अपना बलिदान देना होता है, लेकिन देश पर आंच नहीं आने देना। जिसकी सुरक्षा में तैनात हैं, उसका कवच बने रहना। मामलूी खरोंच तक नहीं आने देना।
अलग-अलग यूनिटों में होंगे तैनात
कमांडो की नजर इतनी पैनी होती है कि दुश्मन टारगेट को छू भी नहीं पाता कि गोली उसके सीने को भेद देती है। देश की राजधानी दिल्ली हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है। इसलिए दिल्ली में आतंकी घटनाओं और बंधक बनाए जाने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस ने स्पेशल कमांडो तैयार किए हैं, जो अब दिल्ली की अलग-अलग यूनिटों में तैनात होंगे। कुछ कमांडो को दिल्ली की स्पेशल SWAT यूनिट में भी तैनात किया जाएगा।
करीब 3 महीने की स्पेशल हार्ड ट्रेनिंग
तकरीबन 180 कमांडो का बैच है, जिसमें महिला कमांडो में शामिल हैं। इन सभी कमांडो को दिल्ली के झरोडा कलां स्थित दिल्ली पुलिस एकेडमी में ट्रेंड किया गया है। हर तरह की मुसीबत और हालातों से निपटने की ट्रेनिंग इन कमांडो की दी गई है।
एकेडमी के डायरेक्टर विजय सिंह ने बताया की कमांडो की नॉर्मल ट्रेनिंग में एक महीना और स्पेशल ट्रेनिंग में 3 महीने का समय लगता है। 3 महीने की इस कड़ी कमांडो ट्रेनिंग में एक कमांडो किन परिस्थितियों से गुजरता है? किस-किस ट्रेनिंग से इन कमांडो को गुजरना पड़ता है, आइए जानते हैं...
फिजिकली और मेंटली ट्रेंड किया जाता
ट्रेनिंग के दौरान कमांडो को रसियों के ज़रिए दीवार पर चढ़ने और उतरने की ट्रेनिंग दी जाती है। एकेडमी में W वॉल बनाई गई है, जिसके ज़रिए कमांडो हाई जम्प करना सीखते हैं। फुर्ती के साथ खाई को, ऊंची दीवार को फांदना सिखाया जाता है। जिस दीवार पर ट्रेनिंग दी जा रही है, वह करीब 30 फ़ीट ऊंची है। कमांडो की ट्रेनिंग में सबसे अहम उनका अलर्ट रहना। जल्द से जल्द अपने दिमाग और शरीर का इस्तेमाल करना, फुर्ती दिखाना है। कमांडो को शारीरिक और मानसिक तौर पर भी ट्रेंड किया जाता है।
हर तरह के हथियार से निपटना सिखाया जाता
26 जनवरी से पहले जिन कमांडो को तैयार किया गया है, उन्हें हर तरह से हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। टेररिस्ट ऑपरेशन को कैसे अंजाम देना है, सिखाया गया है। कैसे सड़क पर हो रहे स्ट्रीट क्राइम से निपटना है, उसकी भी ट्रेनिंग दी गई है। चाहे हथियार कोई भी हो लाठी डंडा, चाकू, पिस्टल हो या पिस्तौल-राइफल, सभी से निपटना सिखाया गया है।
हाई राइज बिल्डिंग पर एयर ड्रॉप से लेकर आधुनिक हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग भी इन कमांडो को दी गई है। 3 महीने की एडवांस ट्रेनिंग में बाद कमांडो तैयार हैं। दिल्ली को सुरक्षित रखने के लिए, इन सभी कमांडो को गणतंत्र दिवस से पहले पूरी दिल्ली में तैनात कर दिया जाएगा।