प्रभाकर मिश्रा/नई दिल्ली
Constitution Day : हमारा सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया का इकलौता ऐसा कोर्ट है, जहां पर कोई व्यक्ति सिर्फ चीफ जस्टिस को भी पत्र लिखकर इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है। महज एक पोस्ट कार्ड या एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले का संज्ञान ले ले। कई बार ऐसा हुआ भी है कि SC ने उसे अर्जेंट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दिया है। इस न्याय व्यवस्था का मकसद सिर्फ इतना ही है कि कोई भी बिना वजह के जेल में न रहे। यह बात रविवार को नई दिल्ली में रविवार को संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कही।
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पिछले साल राष्ट्रपति की जताई चिंता पर हो रहा अमल: डीवाई चंद्रचूड
CJI ने कहा कि पिछली बार संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने जेल में कैदियों की भारी तादाद पर चिंता जाहिर की थी। इस पर गौरत करते हुए हम कानूनी प्रक्रिया को इस तरीके से आसान बना रहे हैं, ताकि लोग बिना वजह जेल में रहने के लिए मजबूर ना हो। ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं, ताकि किसी भी कैदी की रिहाई का आदेश तुरंत सम्बंधित ऑथोरिटी तक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पहुंच सके और वोसमय पर रिहा हो सके।
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CJI ने कहा, ‘मैं संविधान दिवस के मौके पर भारत के नागरिकों से ये कहना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायलय के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे। आपको कोर्ट आने से डरने की कभी जरूरत ही नहीं है। न्यायपालिका के प्रति आपकी आस्था हमें प्रेरित करती है। आपका विश्वास हमारा श्रद्धा स्थान है’।
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CJI ने कहा कि पिछले 7 दशकों में सुप्रीम कोर्ट ने देश की आम जनता के कोर्ट के रूप में खुद को स्थापित किया है। लोग इस उम्मीद में कोर्ट आते हैं कि उन्हें इंसाफ मिलेगा। लोग अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, गैर कानूनी तरीके से हुई गिरफ्तारी से बचने, बन्धुआ मजदूर, आदिवासियों के अधिकारों का हनन रोकने के लिए, कार्यस्थलों पर यौन शोषण को रोकने के लिए, साफ पानी, साफ हवा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट आते हैं।
व्यवस्था पर की चीफ जस्टिस ने बात
चीफ जस्टिस ने कहा कि दुनिया में शायद हमारा सुप्रीम कोर्ट ही इकलौता ऐसा कोर्ट है, जहां कोई आम नागरिक सिर्फ मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर भी इंसाफ की उम्मीद लगा सकता है। महज एक पोस्ट कार्ड, एक मेल ही काफी होता है कि सुप्रीम कोर्ट उस मामले का संज्ञान ले और कई बार ऐसा भी कई बार हुआ है कि SC ने उसे अर्जेंट मानते हुए केस को उसी दिन सुनवाई के लिए लिस्ट भी कर दिया।
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सुनवाई का हो रहा सीधा प्रसारण
CJI ने कहा कि लोगों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट की हमेशा ही कोशिश रही है कि उसका प्रशासनिक ढांचा देश की जनता को केंद्र में रखकर काम करें। आजकल कोर्ट की सुनवाई का सीधा प्रसारण तक हो रहा है, ऐसा देश के लोगों को अदालतों में हो रहे काम के तरीके को समझाने के लिए किया जा रहा है। फैसलों का स्थानीय भाषा में अनुवाद हो रहा है। SC के अब तक अग्रेजी भाषा के दिए गए 36 हजार से ज्यादा जजमेंट E- SCr पोर्टल पर बिलकुल फ्री उपलब्ध कराए गए हैं। ये न केवल वकीलों के लिए, बल्कि कानून के छात्रों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहे हैं।
अंबेडकर को याद किया
CJI ने कहा कि संविधान सभा के आखिरी सम्बोधन में डॉक्टर अंबेडकर ने ये सवाल किया था कि भारत के संवैधानिक लोकतंत्र का क्या भविष्य होगा? क्या भारत अपने संविधान को बचा पाएगा या फिर एक बार फिर से खो देगा? (Xanax) इन सवालों के जवाब में हम न केवल अपने संविधान को बचा पाए हैं, बल्कि देश के आम नागरिकों ने संविधान को आत्मसात किया है।