TrendingMaha Kumbh 2025Ranji TrophyIPL 2025Champions Trophy 2025WPL 2025mahashivratriDelhi New CM

---विज्ञापन---

कांग्रेस स्ट्रेटजी कमेटी की 3 दिसंबर को बैठक, नेता विपक्ष पर हो सकता है फैसला

रमन झा, नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र अगले महीने से शुरू होने वाला है। 7 दिसंबर से शुरू होने वाले इस सत्र में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से पहले सोनिया गांधी को इस्तीफा सौंप दिया था। अब सोनिया गांधी को तय करना है कि राज्य सभा में […]

रमन झा, नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र अगले महीने से शुरू होने वाला है। 7 दिसंबर से शुरू होने वाले इस सत्र में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से पहले सोनिया गांधी को इस्तीफा सौंप दिया था। अब सोनिया गांधी को तय करना है कि राज्य सभा में कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। मल्लिकार्जुन कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी की नेता हैं। पार्टी में राज्यसभा के विपक्ष के नेता के पद को लेकर घमासान बढ़ गया है। दरअसल, राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे खरगे ने पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए एक व्यक्ति एक पद के उदयपुर संकल्प शिविर में तय सिद्धान्त का पालन करते हुए इस्तीफा दे दिया था। खरगे ने इस्तीफा उस समय की अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा था और ये इस्तीफा राज्य सभा के सभापति को नहीं भेजा गया था। पार्टी का तर्क है कि राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए कांग्रेस के पास जरूरी संख्या है और ये पार्टी का आंतरिक मामला है कि वो ये जिम्मेदारी किसे देती है। नेता विपक्ष के पद की उम्मीद में कई नेता अभी से अपनी गोटी दुरुस्त करने में जुट गए हैं। विपक्ष के नेता के चयन की सुगबुगाहट शुरू होते ही उत्तर भारतीय नेताओं ने दावा ठोकना शुरू कर दिया है। दरअसल नए नेता के लिए पी. चिदम्बरम, जयराम रमेश, के सी वेणुगोपाल जैसे दक्षिण भारतीय सांसदों के नाम आगे आने से उत्तर भारत के नेता मसलन दिग्विजय सिंह, राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी ये पद किसी उत्तर भारतीय को देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इन नेताओं के करीबी तर्क दे रहे हैं कि कांग्रेस संगठन के सर्वोच्च पद पर कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खरगे हैं, उसके बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद संगठन महासचिव के पद पर केरल के वेणुगोपाल हैं। ये दोनों दक्षिण भारत से आते हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल से हैं। इसका मतलब बड़े पदों पर दक्षिण भारत के लोग ज्यादा हैं। इसलिए उत्तर भारत के नेताओं को तरजीह देनी चाहिए ताकि पार्टी वहां मजबूत हो सके। जानकारों की माने तो ये दलील पार्टी के दिग्गज नेताओं को भा रही है। क्योंकि पी चिदंबरम तमिलनाडु से आते हैं लेकिन उनकी हिंदी तंग है। जयराम रमेश का हिंदी और इंग्लिश पर कमांड है। लेकिन खरगे पहले से कर्नाटक के हैं और उनके नाम के आगे ये पेंच फंसा है। चिदंबरम की तरह वेणुगोपाल की हिंदी भी अच्छी नहीं है। लिहाजा उत्तर भारतीय नेताओं की दावेदारी नेता विपक्ष के पद पर ज्यादा बन रही है।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.