DY Chandrachud: CJI डीवाई चंद्रचूड़ बोले- निशाना बनाए जाने के डर से जज जमानत देने से कतराते हैं
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
DY Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने के डर की भावना के कारण जज जमानत देने से हिचकते हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में CJI चंद्रचूड़ ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा, "जमानत देने के लिए जमीनी स्तर पर अनिच्छा के कारण उच्च न्यायपालिका में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है। जमीनी स्तर पर न्यायाधीश जमानत देने के लिए अनिच्छुक हैं, इसलिए नहीं कि वे अपराध को नहीं समझते हैं, लेकिन जघन्य मामलों में जमानत देने के लिए निशाना बनाए जाने का डर है।"
बता दें कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने हाल ही में पेंडिंग मामलों को निपटाने का तरीका खोजा है। नियम बनाया है कि अब सुप्रीम कोर्ट की सभी 13 बेंच के सामने हर दिन 10-10 जमानत याचिका और 10-10 ट्रांसफर केस सुनवाई के लिए लिस्ट होंगी। इससे सर्वोच्च न्यायालय में हर दिन बेल और केस ट्रांसफर से जुड़े 130-130 मामलों की सुनवाई होगी जिससे सर्वोच्च अदालत में पेंडिंग मामलों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा था कि यदि हर बेंच हफ्ते में 650 मामलों की सुनवाई करेगी, तो एक साल में कई मामलों की सुनवाई हो जाएगी। इससे पेंडिंग केसों का निपटारा करने में आसानी मिलेगी और लोगों को न्याय मिलने में दिक्कत भी नहीं होगी।
9 नवंबर को देश के 50 CJI बने हैं डीवाई चंद्रचूड़
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर को देश की न्यायपालिका के 50 वें प्रमुख बने। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का स्थान लिया, जो 9 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए थे।
जस्टिस चंद्रचूड़ देश के प्रगतिशील और उदार न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति भी बेहद संवेदनशील माना जाता है और जस्टिस चंद्रचूड़ की सबसे खास बात यह है कि वह दुर्व्यवहार करने वालों के प्रति अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते हैं। 11 नवंबर, 1959 को जन्मे जस्टिस चंद्रचूड़ को 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।
उन्होंने 1998 से बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
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