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OMG! बच्चे से बनवाया शारीरिक संबंध बनाने का वीडियो! HC का आरोपी के पक्ष में आदेश, क्या है मामला?

POCSO Act Case Hearing: एक प्रेमी जोड़े ने बच्चे को फोन देकर ऐसी हरकत करवा दी कि दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा दिए। पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ। मामले में बच्चे की मां की संलिप्तता बताई जा रही है। मामले में हाईकोर्ट ने एक फैसला दिया है।

हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़े निर्देश दिए हैं।
Bombay High Court POCSO Case Hearing: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े एक केस में आरोपी को अंतरिम जमानत दे दी है। शारीरिक संबंध बनाते हुए का वीडियो बच्चे से बनवाने के आरोप लगे थे। पीड़ित ने नवी मुंबई के एक थाने में FIR दर्ज कराई थी। मामले में बच्चे की मां भी आरोपी है। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (POCSO) एक्ट के तहत केस दर्ज कराया गया। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपी को अंतरिम जमानत दी, लेकिन तब तक के लिए जमानत दी गई है, जब तक बच्चे से उसका पक्ष पूछकर रिपोर्ट नहीं बनाई जाती या जब तक बच्चे से जांच में सहयोग नहीं लिया जाता। बच्चे का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट फैसला सुनाएगी। अगर जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया गया तो आरोपी को सजा भुगतनी होगी। केस की अगली सुनवाई 19 जुलाई तक के लिए टाल दी गई है। यह भी पढ़ें:क्या पीरियड्स के दिनों में छुट्टी मिलेगी? याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अहम आदेश

वीडियो देखने के बाद महिला ने कराई FIR

केस की सुनवाई जस्टिस मनीष पिताले ने की। मामले में आरोपी बच्चे की मां है और दूसरा आरोपी उसका प्रेमी है। वहीं याचिकाकर्ता भी है, जिसने आरोपों को झूठा बताया और शंका जताई कि बच्चे की मां ने ऐसा करवाया होगा, ताकि वह उसे ब्लैकमेल कर सके। बच्चे की मां ने भी अपने पक्ष में यही बात कही है। दोनों आरोपी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मामले में आरोप लगने और गिरफ्तारी होने के बाद आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। दोनों आरोपी अलग-अलग लोगों से शादीशुदा हैं और दोनों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है, लेकिन वीडियो देखने के बाद महिला ने प्रेमी पर दुष्कर्म के आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत दी। जिला अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को रेगुलर जमानत दी, जिसकी शर्तों का उसने पालन भी किया, लेकिन फिर भी उसे पुलिस ने फिर से गिरफ्तार कर लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपना पक्ष रखते हुए मामले में बच्चे की मां संलिप्तता के बारे में कोर्ट को बताया, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह भी पढ़ें:‘फिल्मों में दिव्यांगों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे’; सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायत


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