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जब चंद्रयान-1 की लॉन्चिंग से पहले ISRO पहुंचे थे APJ अब्दुल कलाम, टीम को दिया था ये सुझाव

Chandrayaan APJ Abdul Kalam Connection: चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के इस मिशन में सहायता करने वाले वैज्ञानिकों का एक-एक कर नाम सामने आ रहा है। आपको पता है, चंद्रयान से पूर्व राष्ट्रपति और देश के महान वैज्ञानिकों में शामिल एपीजे अब्दुल कलाम का भी कनेक्शन है। दरअसल, भारत का पहला चंद्र […]

Chandrayaan APJ Abdul Kalam Connection: चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो के इस मिशन में सहायता करने वाले वैज्ञानिकों का एक-एक कर नाम सामने आ रहा है। आपको पता है, चंद्रयान से पूर्व राष्ट्रपति और देश के महान वैज्ञानिकों में शामिल एपीजे अब्दुल कलाम का भी कनेक्शन है। दरअसल, भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 था। इस मिशन के दौरान सैटेलाइट ने चंद्रमा के चारों ओर 3400 से अधिक चक्कर काटी थी। इसरो के अनुसार, 29 अगस्त 2009 को अंतरिक्ष यान के साथ संचार टूट जाने पर मिशन समाप्त हो गया था। चंद्रयान-1 से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है, जो अब्दुल कलाम से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब चंद्रयान-1 को असेंबल किया जा रहा था, तब एपीजे अब्दुल कलाम ISRO के कार्यालय गए थे। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 11वें राष्ट्रपति ने तब वैज्ञानिकों से पूछा था कि चंद्रयान-1 यह साबित करने के लिए कौन से सबूत प्रदर्शित करेगा कि वह चंद्रमा पर गया था। ये भी पढ़ें: Chandrayaan-3 के बाद ISRO लॉन्च करेगा सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’, पीएम मोदी ने की घोषणा

पूर्व राष्ट्रपति ने दी थी ये सलाह

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब वैज्ञानिकों ने जवाब दिया कि इसमें चंद्रमा की सतह की तस्वीरें होंगी, तो पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह पर्याप्त नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि एपीजे अब्दुल कलाम ने सुझाव दिया कि चंद्रयान-1 में एक ऐसा उपकरण होना चाहिए जिसे चंद्रमा की सतह पर छोड़ा जा सके। इस सलाह के बाद ही इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 के डिजाइन में बदलाव किया। चंद्रयान-1 पर लगे टेरेन मैपिंग कैमरे से ली गई पृथ्वी की पहली तस्वीरें देखने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि तस्वीरें देखने के बाद वे बेहद खुश हैं और हर भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए।

14 मई को शुरू हुआ था चंद्रयान-3 मिशन

बता दें कि भारत का तीसरा चंद्र मिशन 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि लगभग 1,000 इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की भागीदारी के साथ, चंद्रयान -3 का निर्माण चार वर्षों से चल रहा था। इसरो ने पहले जानकारी दी थी कि लैंडर के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद भी प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा। बता दें कि चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम करीब 6:04 बजे चंद्रमा की सतह को छू लिया।


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