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Article 370: तीन साल बाद फिर SC में लौटा J&K से अनुच्छेद 370 खत्म करने का मामला, 11 जुलाई को सुनवाई

Article 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। तीन साल बाद यह प्रकरण फिर से चर्चा में हैं। पांच जजों की संविधान पीठ 11 जुलाई को प्रारंभिक कार्यवाही करेगी और दस्तावेज दाखिल […]

Jammu Kashmir
Article 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। तीन साल बाद यह प्रकरण फिर से चर्चा में हैं। पांच जजों की संविधान पीठ 11 जुलाई को प्रारंभिक कार्यवाही करेगी और दस्तावेज दाखिल करने और लिखित प्रस्तुतिकरण के बारे में प्रक्रियात्मक निर्देश जारी करेगी। इस दौरान सुनवाई शुरू होने की तारीख भी बताई जाएगी। पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल होंगे। उम्मीद है कि अदालत इस बात की जांच करेगी कि क्या संसद जम्मू-कश्मीर के लोगों की सहमति के बिना अनुच्छेद 370 को खत्म कर सकती है और क्या इसका दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करना संवैधानिक कदम था। यह भी पढ़ें: Hyderabad Suicide Case: हैदराबाद में MBBS स्टूडेंट ने प्राइवेट पार्ट काटकर किया सुसाइड, हैरान कर देगी वजह

केंद्र का नया हलफनामा, कहा- घाटी में आया शांति का युग

इससे पहले सोमवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दायर किया। जिसमें कहा कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शांति का अभूतपूर्व युग आया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि जम्मू-कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था। इस पर अंकुश लगाने के लिए धारा 370 को हटाना ही एकमात्र रास्ता था। आज घाटी में स्कूल, कॉलेज, उद्योग सहित सभी आवश्यक संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं। औद्योगिक विकास हो रहा है और जो लोग डर में रहते थे वे शांति से रह रहे हैं।

मार्च 2020 में हुई थी आखिरी सुनवाई

मामले की आखिरी बार सुनवाई मार्च 2020 में पांच जजों की एक अलग बेंच ने की थी। उस सुनवाई में बेंच ने मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया था।

अगस्त 2019 में हटा था अनुच्छेद 370

बता दें कि अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। जिसके बाद संसद ने राज्य को विभाजित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया। यह प्रक्रिया राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शुरू की गई थी, जब राज्य विधानसभा काम नहीं कर रही थी। याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राष्ट्रपति की उद्घोषणा के माध्यम से अनुच्छेद 370 को खत्म करना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। जून 2018 में भाजपा ने महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। इसके बाद सरकार गिर गई और जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लग गया था। तब से इस क्षेत्र में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है। यह भी पढ़ें: Centre Ordinance: दिल्ली अध्यादेश पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, LG को पार्टी बनाने का निर्देश, 17 जुलाई को सुनवाई


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