नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया। सरकार ने कैबिनेट में गरीबों को दिए जाने वाले मुफ्त राशन को लेकर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए कहा कि इसके तहत दिसंबर 2023 तक हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज मिलेगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अब 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा। उन्हें दिसंबर 2023 तक खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए एक रुपये का भी भुगतान नहीं करना पड़ेगा। सरकार इस पर प्रति वर्ष लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।
अभी इतना मिलता है खाद्यान्न
एनएफएसए को खाद्य कानून भी कहा जाता है, इसके तहत सरकार वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से देती है। अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलता है। एनएफएसए के तहत गरीब लोगों को चावल तीन रुपये प्रति किलो, गेहूं दो रुपये और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है। सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह पूरी तरह से मुफ्त में मिलेगा। इससे 81.35 करोड़ लोगों को फायदा होगा। सरकारी अधिकारियों ने नवीनतम कैबिनेट के फैसले को देश के गरीबों के लिए नए साल का तोहफा बताया।
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पीएम मोदी का गरीबों के लिए ऐतिहासिक फैसला
यह फैसला 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त होने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) से कुछ दिन पहले आया है। पीएमजीकेएवाई को अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों को राहत देने के लिए शुरू किया गया था। खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इससे कुल 81.35 करोड़ लोगों को लाभ होगा।”
उन्होंने कहा कि इस कदम से राजकोष पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने कहा कि पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। सरकारी अधिकारियों ने नवीनतम कैबिनेट के फैसले को “देश के गरीबों के लिए नए साल का तोहफा” बताते हुए कहा कि अब 81.35 करोड़ से अधिक लोगों को एनएफएसए के तहत मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा।
पीएमजीकेएवाई का एनएफएसए में विलय
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) पर गोयल ने कहा कि सरकार ने 28 महीनों के लिए मुफ्त खाद्यान्न (5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह) प्रदान किया। यह पूछे जाने पर कि क्या पीएमजीकेएवाई को 31 दिसंबर, 2022 से आगे बढ़ाया जाएगा? मंत्री ने कहा कि इस योजना का एनएफएसए में विलय कर दिया गया है और अब अतिरिक्त मात्रा की आवश्यकता नहीं है। गोयल ने आगे कहा कि पीएमजीकेएवाई के तहत अतिरिक्त खाद्यान्न को गरीब लोगों के वित्तीय तनाव के कारण कोविड के दौरान शुरू किया गया था। इसकी अब जरूरत नहीं है।
सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू
खाद्य मंत्री ने कहा, “वित्तीय स्थिति अब सामान्य हो गई है। फिर भी गरीबों को राहत देने के लिए सरकार ने एनएफएसए के तहत मुफ्त में खाद्यान्न उपलब्ध कराया है।” केंद्र ने जुलाई 2013 में 67 प्रतिशत आबादी (ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत) को अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार देते हुए एनएफएसए अधिनियमित किया था। अधिनियम के तहत कवरेज 2011 की जनगणना के जनसंख्या आंकड़ों पर आधारित है। एनएफएसए को सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है और इसमें लगभग 81.35 करोड़ लोग शामिल हैं।
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(Adipex)