Cash for Job Scam: ‘नौकरी के बदले घूस’ मामले में तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के भाई को ईडी का समन
Cash for Job Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कथित कैश-फॉर-जॉब घोटाले (Cash for Job Scam) में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के भाई अशोक कुमार को समन जारी किया। वित्तीय जांच एजेंसी ईडी के अनुसार, अशोक कुमार आर्थिक अपराध में कथित तौर पर आरोपी हैं। सूत्रों के मुताबिक कई शिकायतकर्ताओं ने पहले अशोक कुमार पर नौकरी देने के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया था।
जानकारी के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि, मंत्री का स्वास्थ्य खराब होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, जिसके कुछ घंटों बाद अदालत ने उन्हें 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। आयकर विभाग ने पिछले महीने भी तमिलनाडु के मंत्री से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। करूर और कोयम्बटूर समेत विभिन्न शहरों में मंत्री से जुड़े व्यक्तियों के परिसरों पर छापेमारी की कार्रवाई 48 घंटे से ज्यादा चली थी।
नौकरी के बदले पैसा घोटाला
कथित तौर पर ये एक भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सेंथिल बालाजी को ईडी ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि नवंबर 2014 में जब तमिलनाडु के पूर्ण स्वामित्व वाले मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ने ड्राइवर (746 पद) समेत विभिन्न पदों के लिए आवेदन मांगते हुए पांच विज्ञापन जारी किए थे। इनमें कंडक्टर (610 पद), कनिष्ठ ट्रेड्समैन (प्रशिक्षु) (261 पद), कनिष्ठ अभियंता (प्रशिक्षु) (13 पद), और सहायक अभियंता (प्रशिक्षु) (40 पद) के पद थे।
साक्षात्कार 24 दिसंबर 2014 को आयोजित हुए थे। चयनित उम्मीदवारों की सूची बाद में प्रकाशित की गई थी। इसके बाद देवसागयम नामक एक व्यक्ति ने 29 अक्टूबर, 2015 को चेन्नई पुलिस में 10 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने बेटे के लिए परिवहन निगम में कंडक्टर की नौकरी सुरक्षित करने के लिए पलानी नाम के एक कंडक्टर को 2.6 लाख रुपये का भुगतान किया था। हालांकि, उनके बेटे को काम नहीं मिला।
ये है पूरा मामला
कई और लोगों ने भी इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस की ओर से अंतिम रिपोर्ट दायर करने और मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद ईडी ने मामला दर्ज किया और मंत्री सेंथिल बालाजी को समन जारी किया। बाद में ईडी ने ट्रायल कोर्ट के सामने प्राथमिकी की प्रमाणित प्रतियां, गवाहों के बयान और अंतिम रिपोर्ट की मांग करते हुए याचिकाएं दायर कीं। 3 मार्च, 2022 को हाईकोर्ट ने ईडी को जांच करने और दस्तावेजों की प्रतियों की आपूर्ति के लिए तीसरे पक्ष के प्रतिलिपि आवेदन करने की अनुमति दी।
इसके बाद ईडी की ओर से जारी समन को चुनौती देते हुए मंत्री सेंथिल बालाजी ने, उनके पीए शनमुगम ने और अशोक कुमार (मंत्री के भाई) ने तीन रिट याचिकाएं दायर कीं। अगले कुछ महीनों में कोर्ट में शिकायतकर्ताओं, अभियुक्तों, ईडी और भ्रष्टाचार विरोधी संगठनों की ओर से दायर याचिकाओं समेत लगभग एक दर्जन याचिकाएं दायर की गईं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 16 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले की जांच करने का आदेश दिया।
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