TrendingVladimir PutinSwaraj Kaushalparliament winter session

---विज्ञापन---

पंचेत डैम का उद्घाटन करने वाली बुधनी मंझियाइन का निधन, जवाहर लाल नेहरू की पत्नी बता कर दिया गया था समाज से अलग

Budhni Majhiyin Passes Away: बुधनी को यह कहकर समाज से अलग कर दिया कि नेहरू के साथ उसका आदिवासी परम्परा के अनुसार विवाह हो चुका है और नेहरू आदिवासी समाज से नही हैं इसलिए, बुधनी ने समाज के विरुद्ध काम किया है

अमर देव पासवान, आसनसोल: पश्चिम बंगाल, आसनसोल और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र पंचेत डैम के उद्घाटन समारोह में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली बुधनी मंझियाइन अब इस दुनिया में नही रहीं, बुधनी पुरुलिया जिले के अंतर्गत रहती थी, जो पंचेत डैम के काफी नजदीक भी है। 6 दिसंबर 1959 को झारखंड के धनबाद जिले में स्थित पंचेत डैम का उद्घाटन समारोह था, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उस ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह में आए थे, डिवीसी ने यह तय किया था कि उद्घाटन समारोह में एक युवक और युवती को रखना है, जो प्रधानमंत्री का स्वागत करेंगे, जिसके लिए डिवीसी ने 15 वर्षीय बुधनी आदिवासी युवती मंझियाइन और रावण माझी नामक एक आदिवासी युवक को चुना था। दोनों डिवीसी में मजदूर भी थे।

बुधनी ने नेहरू के साथ किया उद्घाटन

डिवीसी की योजना के अनुसार दोनों ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को फूलों की माला भी पहनाई साथ में तिलक भी लगाया, अब इंतजार था तो प्रधानमंत्री के द्वारा डैम का उद्घाटन करने का, ठीक पहले नेहरू ने यह फैसला लिया की डैम का उद्घाटन डैम में काम करने वाला मजदूर ही करेगा और फिर प्रधानमंत्री के इच्छा अनुसार बुधनी मंझियाइन ने नेहरू के साथ डैम का स्विच दबाकर उद्घाटन किया। इसके बाद नेहरू तो चले गए पर उनके जाने के बाद बुधनी के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे वह पूरा जीवन नहीं भूल पाई। यह भी पढ़ें- Uttarkashi Tunnel Collapse: अब पेड़ काटने वाली मशीन से बचेंगी टनल में फंसी 41 जिंदगियां, बहुत जोखिम भरा है तरीका?

समाज से अलग कर दिया गया

इसके बाद आदिवासी समाज के लोगों ने बुधनी को यह कहकर समाज से अलग कर दिया कि नेहरू के साथ उसका आदिवासी परम्परा के अनुसार विवाह हो चुका है और नेहरू जी आदिवासी समाज से नही हैं इसलिए, बुधनी ने समाज के विरुद्ध काम किया है, जिसके बाद रातों-रात आदिवासी समाज की एक खाप की पंचायत बैठी, जिस पंचायत में बुधनी को समाज से तो अलग किया ही गया बाद में, उसका इलाके में हुक्का पानी भी बंद कर दिया गया।

मुश्किल घड़ी में सहारा बने सुधीर दत्ता

इसके बाद बुधनी भूखी-प्यासी सर छुपाने के लिए इधर-उधर भटकती रही और कहीं कोई सहारा नहीं मिला, जिसके बाद पंचेत के रहने वाले सुधीर दत्ता ने बुधनी के उस मुश्किल घड़ी में साथ दिया और उसका सहारा बने। इस दौरान दोनों ने कभी शादी तो नहीं की लेकिन, वह दोनों लिव इन रिलेशन में जरूर रहे। इस बीच डिवीसी ने बिना कोई कारण बताए बुधनी को नौकरी से भी निकाल दिया। बुधनी के जीवन में वह समय काफी कठिन था। इस दौरान बुधनी को सुधीर दत्ता से एक बेटी भी हुई, जिसका नाम उसने रत्ना रखा, इसके आलावा बुधनी का एक बेटा भी है।

राजीव गांधी के कहने पर बुधनी को दोबारा मिली नौकरी

बुधनी की कहानी जब प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पता चली तो, उन्होंने बुधनी को बुलाया उसकी तमाम समस्याओं को सुना, जिसके बाद राजीव गांधी के कहने पर बुधनी को दोबारा डिवीसी में नौकरी मिली और वह रिटायरमेंट भी हुई। वह काफी समय से बीमार चल रही थी, जिस कारण उसको पंचेत के एक अस्पताल मे भर्ती कराया गया था, जहां बुधनी ने अपना दम तोड़ दिया। बुधनी की मौत के बाद इलाके के लोगों ने बहुत ही धूमधाम से उसकी शव यात्रा को निकाला। वहीं, सीआईएसएफ ने भी उनकी शव यात्रा को सलामी दी और पुष्प अर्पित किया।  


Topics:

---विज्ञापन---