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जहां वक्फ विवाद, वहीं जीती BJP… विधानसभा चुनाव के लिए कैसे अहम हैं केरल स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम?

Kerala BJP News: केरल स्थानीय निकाय चुनाव में BJP ने उस इलाके में जीत हासिल की है, जहां पिछले 70 साल वक्फ प्रॉपर्टी विवाद चल रहा है और मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इस मामले में BJP ने पीड़ितों का साथ दिया, जिसके बदले चुनाव में BJP को उन लोगों का समर्थन मिला.

केरल में पिछले 70 साल से वक्फ प्रॉपर्टी विवाद चल रहा है.

BJP Victory in Kerala Inside Story: केरल स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम घोषित हो गए हैं, लेकिन केरल के मुनंबम इलाके के चुनाव परिणाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं, क्योंकि यहां BJP ने बाजी मारी है. जी हां, यह वही इलाका है जहां वक्फ प्रॉपर्टी विवाद चल रहा है. मुनंबम में करीब 500 ईसाई परिवार रहते हैं, लेकिन वक्फ संशोधन अधिनियम के बाद उन्हें अपने घरों से बेदखल हो जाने का डर सता रहा था. केरल BJP और मोदी सरकार ने इन परिवारों का साथ दिया, जिसके परिणामस्वरूप इन परिवारों ने चुनाव में BJP को समर्थन दिया.

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BJP के लिए इसलिए अहम है चुनावी जीत

BJP के केरल महासचिव अनूप एंटनी जोसेफ मुनंबम के स्थानीय निकाय चुनाव में BJP की जीत को एतिहासिक बता रहे हैं. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक रूप से एक टर्निंग पॉइंट मान रहे हैं. चुनावी जीत को केरल में BJP के लिए ईसाई समुदाय के बढ़ता समर्थन और वोट बैंक भी मान रहे हैं. क्योंकि इस जीत ने केरल के उन मुद्दों को केंद्र में चर्चा का विषय बना दिया है, जो आगामी विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगे. ऐसे में अब BJP केरल में वक्फ जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आक्रामक राजनीति कर सकती है.

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70 साल पुराना है केरल में वक्फ विवाद

बता दें कि मुनंबम वक्फ विवाद आज से 70 साल पहले शुरू हुआ था. अभी जिस जमीन पर 500 परिवार रहते हैं, उस जमीन को वर्ष 1950 में सिद्दीकी सैत नामक व्यक्ति ने फरीद कॉलेज को दान में दी थी थी. कॉलेज प्रशासन ने इस जमीन का कुछ हिस्सा उन लोगों को ही बेच दिया, जो इस जमीन पर सालों से बसे थे. साल 2019 में केरल वक्फ बोर्ड ने इस जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी करार देकर वक्फ बोर्ड के तहत रजिस्टर्ड कर दिया. जिससे इस जमीन को लेकर हुए सौदे और समझौते अमान्य हो गए और इस पर रहने वाले लोगों को आशियाना छूटने का डर सताने लगा.

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हाई कोर्ट तक पहुंचा था प्रॉपर्टी विवाद

जमीन को वक्फ बोर्ड के तहत रजिस्टर करने के फैसले के खिलाफ मुनंबम और चेराई इलाकों के लोगों ने आंदोलन छेड़ा, जो करीब 410 दिन तक चला. पीड़ित लोगों ने वक्फ बोर्ड के फैसले को कोझिकोड वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी. मामला प्रदेश सरकार तक पहुंचा तो सरकार ने जमीन के मालिकों की जांच के लिए CN रामचंद्रन नायर आयोग गठित कर दिया, लेकिन केरल हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने साल 2025 में इस आयोग को भंग कर दिया, जिसे बाद में डिवीजन बेंच ने आयोग को बहाल किया और साल 2019 में हुए जमीन के वक्फ रजिस्ट्रेशन को अवैध करार दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने गत 12 दिसंबर को ही केरल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है और मामले में हाई कोर्ट के फैसले से पहले जो स्थिति बनी हुई है, उसे ही बरकरार रखने का निर्देश दिया. जनवरी 2026 तक यह स्थिति बरकरार रहेगी और किसी को भी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी लोगों को आश्वासन दे चुके हैं कि इस जमीन पर रहने वाले लोगों को जबरन बेदखल नहीं किया जाएगा.


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