West Bengal: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर ममता सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस ने जहां कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है, वहीं बीजेपी ने सोमवार को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है। राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने इस बाबत लेटर जारी किया है। उन्होंने बताया कि कमेटी बंगाल में चुनावी हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी। कमेटी अपनी रिपोर्ट बनाएगी, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपी जाएगी।
कमेटी में ये बनाए गए सदस्य
सांसद रवि शंकर प्रसाद को कमेटी का संयोजक बनाया गया है। इसके अलावा सांसद और मुंबई के पूर्व कमिश्नर डॉक्टर सत्यपाल सिंह, सांसद डॉक्टर राजदीप रॉय और सांसद रेखा वर्मा कमेटी के सदस्य हैं।
सुवेंदु ने उठाई CBI जांच की मांग
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने सोमवार को कोलकाता में कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 21 लोग मारे गए इसकी CBI जांच होनी चाहिए। हमने 6,000 बूथों पर दोबारा मतदान कराने को लेकर राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। मृतकों के परिवार और घायलों को सहायता राशि प्रदान करनी भी मांग है।
कांग्रेस ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने समेत तीन मांगें उठाई हैं। साथ ही ममता सरकार से सवाल किया कि हिंसा क्यों हुई?
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारी तीन मांगे हैं। पहला पीड़ितों को मुआवजा राशि दी जाए, दूसरा घायलों का पूरा इलाज कराया जाए और तीसरा इलाज के साथ-साथ वित्तीय सहायता दी जाए। हमने यह भी मुद्दा उठाया कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा होने की पूरी संभावना थी तो पहले से राज्य सरकार की ओर से तैयारी क्यों नहीं की गई। साथ ही हिंसा क्यों हुई? इतने लोग मारे गए, इसकी सख्त रूप से जांच होनी चाहिए।
19 जिलों के 398 बूथों पर पुर्नमतदान
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव हुए। इस दौरान हुई हिंसा के बाद सोमवार को 19 जिलों के 698 बूथों पर पुनर्मतदान हो रहा है। शनिवार को हुए पंचायत चुनाव के दौरान छह जिलों में 21 लोगों की हत्या हुई थी। सोमवार को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा इलाके में एक तालाब और एक खेत से 35 देशी बम बरामद किए गए। बमों को निष्क्रिय करने के लिए बम निरोधक दस्ते की एक टीम स्थानीय पुलिस के साथ तुरंत मौके पर पहुंची।
वहीं, पोलिंग स्टेशनों पर सुरक्षाबलों के तैनात न होने की खबरों को लेकर बीएसएफ डीआईजी एसएस गुलेरिया ने कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें राज्य के सेंसिटिव बूथ की जानकारी नहीं दी थी। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि जानकारी देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी।
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