भारत ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। देश में बना नया काउंटर-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ अब दुश्मन ड्रोन स्वार्म अटैक को तुरंत खत्म करने में सक्षम है। यह सिस्टम खास तौर पर ड्रोन हमलों से बचाव के लिए तैयार किया गया है। मंगलवार को ओडिशा के गोपालपुर में इसका सफल परीक्षण किया गया। यह टेक्नोलॉजी बहुत ही सस्ती, भरोसेमंद और पूरी तरह भारतीय है। यह तेजी से एक साथ कई ड्रोन को पहचानकर उन्हें निशाना बनाती है। ‘भार्गवास्त्र’ भारत की रक्षा ताकत को नई मजबूती देगा और भविष्य के खतरों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा।
स्वदेशी ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण
भारत ने मंगलवार को ओडिशा के गोपालपुर में एक खास हथियार का सफल परीक्षण किया। इस हथियार का नाम है ‘भार्गवास्त्र’ और यह भारत में ही बनाया गया है। इसका काम दुश्मन के ड्रोन को मार गिराना है, खासकर जब बहुत सारे ड्रोन एक साथ आते हैं (जिसे ड्रोन स्वार्म कहा जाता है)। यह सिस्टम एकदम नया और ताकतवर है। यह दुश्मन के ड्रोन को सीधे टकराकर या गोली से पूरी तरह नष्ट कर देता है। इस तरीके को ‘हार्ड किल मोड’ कहते हैं। ‘भार्गवास्त्र’ को सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) नाम की भारतीय कंपनी ने बनाया है। इसे भारत में ही डिजाइन और तैयार किया गया है। यह सिस्टम तेजी से बढ़ते ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए खासतौर पर बनाया गया है। इसका परीक्षण एक महत्वपूर्ण समय पर किया गया है। अभी कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान और भारत के बीच चार दिन तक तनाव चला था, जिसके बाद सीजफायर हुआ है। ऐसे समय में ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
माइक्रो रॉकेट का कारगर प्रदर्शन
‘भार्गवास्त्र’ सिस्टम की सबसे खास बात इसकी माइक्रो रॉकेट टेक्नोलॉजी है। इसका मतलब है कि यह बहुत छोटे लेकिन तेज और ताकतवर रॉकेट इस्तेमाल करता है, जो दुश्मन के ड्रोन को जल्दी और सटीक तरीके से मार गिराते हैं। 13 मई को ओडिशा के सीवार्ड फायरिंग रेंज में इसका तीन बार परीक्षण किया गया। पहली और दूसरी बार एक-एक रॉकेट छोड़ा गया। तीसरी बार दो रॉकेट एक साथ छोड़े गए और वो भी सिर्फ दो सेकंड के अंदर। तीनों बार रॉकेटों ने अपने लक्ष्य को सही तरीके से निशाना बनाया और सभी जरूरी टेस्ट पास कर लिए। इस दौरान सेना की एयर डिफेंस टीम के सीनियर अफसर भी मौजूद थे। यह दिखाता है कि ‘भार्गवास्त्र’ भविष्य में अगर कई ड्रोन एक साथ भारत पर हमला करें, तो यह सिस्टम उन्हें तेजी और भरोसे के साथ रोक सकेगा।
तीन स्तरों की मजबूत सुरक्षा प्रणाली
‘भार्गवास्त्र’ सिस्टम तीन लेवल की सुरक्षा देता है, जिससे दुश्मन के ड्रोन को अलग-अलग तरीकों से रोका जा सकता है। आइए जानते हैं...
पहला स्तर:
इसमें साधारण माइक्रो रॉकेट इस्तेमाल होते हैं। ये बिना दिशा बदले सीधे चलते हैं।
इनका असर 20 मीटर के दायरे में होता है।
ये 2.5 किलोमीटर दूर तक के ड्रोन को मार सकते हैं।
दूसरा स्तर:
इसमें गाइडेड माइक्रो मिसाइल होती हैं, यानी ये अपने आप लक्ष्य की तरफ घूमकर जाती हैं।
ये छोटे से छोटा ड्रोन भी बिल्कुल सटीक निशाने से गिरा सकती हैं।
तीसरा स्तर:
अगर ड्रोन को नष्ट करना जरूरी न हो, तो सॉफ्ट किल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जैमिंग और स्पूफिंग जैसे तरीके होते हैं, जिससे ड्रोन को रास्ता भटकाया जाता है या उसे कंट्रोल से बाहर कर दिया जाता है। इस सिस्टम का रडार 6 से 10 किलोमीटर दूर तक के छोटे हवाई खतरों को पहचान सकता है। इसके साथ लगे EO/IR सेंसर की मदद से वो ड्रोन भी पहचान लिए जाते हैं जो बहुत छोटे या छिपे हुए होते हैं और जिन्हें पहचानना मुश्किल होता है।
हर इलाके में तैनाती के लिए तैयार
‘भार्गवास्त्र’ सिस्टम की एक और बड़ी खासियत है इसका मॉड्यूलर और टेरेन फ्रेंडली डिजाइन। इसका मतलब यह है कि इसे किसी भी इलाके में आसानी से लगाया जा सकता है चाहे वह पहाड़ हो, जंगल हो या मैदानी इलाका। इस सिस्टम के सेंसर और रॉकेट लॉन्चर को मिशन के हिसाब से बदलकर या जोड़कर इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी जरूरत के अनुसार इसे छोटा या बड़ा किया जा सकता है। यह पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया है। इसलिए यह देश की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं को मजबूती देता है। यह सिस्टम आज के समय की हाईटेक युद्ध तकनीकों के साथ भी पूरी तरह मेल खाता है, यानी इसे दूसरे आधुनिक हथियारों और सिस्टम्स के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है। ‘भार्गवास्त्र’ के आने से अब भारत के पास एक ताकतवर, तेज और सटीक काउंटर-ड्रोन हथियार है, जो भविष्य में किसी भी ड्रोन हमले से देश की सुरक्षा करने में मदद करेगा।