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‘संभल जाएं! अभी तो बस शुरुआत है’, भारत समेत अन्य देशों में ‘आसमानी तबाही’ पर बोले साइंटिस्ट

Flood Alert: मानसून के आते ही भारत के पहाड़ी राज्यों समेत कई मैदानी राज्यों में बाढ़ और तबाही देखने को मिल रही है। ये हालात सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ की ये सभी घटनाएं काफी दूर-दूर हैं, लेकिन इन सभी में […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jul 11, 2023 15:37
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Flood Alert: मानसून के आते ही भारत के पहाड़ी राज्यों समेत कई मैदानी राज्यों में बाढ़ और तबाही देखने को मिल रही है। ये हालात सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बाढ़ की ये सभी घटनाएं काफी दूर-दूर हैं, लेकिन इन सभी में कुछ न कुछ समानता जरूर है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि दो जलवायु कारणों की दुर्लभ क्रिया के बाद लगातार बारिश हो रही है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से तबाही का मंजर झेल रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान एजेंसी की ओर से कई अन्य राज्यों में अलर्ट जारी किए जाने के बाद पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन और बारिश के कारण 35 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।

जापान में भीषण तबाही

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ये स्थिति अकेले भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इसी तरह की बाढ़ से जूझ रहे हैं। जापान में मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन हुआ है। इससे दो लोगों की मौत हो गई और करीब छह लोग लापता हैं।

एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, न्यूयॉर्क के लोगों ने कहा कि हडसन वैली और वर्मोंट में साल 2011 के तूफान आइरीन की तबाही के बाद से सबसे खराब बाढ़ है। हालांकि उससे पहले ही हजारों लोगों को घरों से निकाल लिया गया था। इसके अलावा उत्तरी, मध्य और दक्षिणपूर्वी चीन में बाढ़ से हालात बेहाल हैं। तुर्की और काला सागर तट पर भी नदियां उफान पर हैं।

इस कारण हो रही भीषण बारिश

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अलग-अलग देशों में बाढ़ की घटनाएं काफी दूर हैं, लेकिन इन सभी में समानता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये बाढ़ गर्म वातावरण में बनने वाले तूफानों का परिणाम हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा बारिश होने की स्थिति बनती है।

उन्होंने कहा है कि गर्म वातावरण में ज्यादा नमी होती है, जिसके परिणामस्वरूप तूफान ज्यादा बारिश करते हैं। इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। प्रदूषक तत्व, विशेषकर कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, वातावरण को गर्म कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ज्यादा गर्मी इसे और बदतर बनाएगी।

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सदी के मध्य तक 40 डिग्री सेल्सियस जैसा तापमान और आर्द्रता साल में 20 से 50 बार होनी चाहिए। 2022 के एक अध्ययन मे शोधकर्ताओं ने कहा है कि वर्ष 2100 तक अमेरिका के दक्षिणपूर्व जैसे स्थानों के लिए भीषण गर्मी का माहौल बना रह सकता है।

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Written By

Naresh Chaudhary

First published on: Jul 11, 2023 03:37 PM

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