श्रीनगर में रिजर्वेशन पॉलिसी के खिलाफ छात्र आंदोलन की योजना को विफल करने के लिए प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. रविवार को सुरक्षा बलों ने प्रमुख राजनीतिक नेताओं को घरों में नजरबंद कर दिया, ताकि पोलो व्यू से शुरू होकर गुपकर रोड तक जाने वाली शांतिपूर्ण मार्च न हो सके. ओपन मेरिट कैटेगरी के छात्र लंबे समय से मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि यह सिस्टम मेरिट वाले उम्मीदवारों को नौकरियों और एडमिशन में पीछे धकेल रहा है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी, जो बुदगाम से हैं और इस प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले थे, ने खुद सोशल मीडिया पर अपनी नजरबंदी की पुष्टि की. एक्स पर उन्होंने लिखा कि न उनके घर में कोई आ सकता है, न ही अंदर से कोई बाहर निकल सकता है. इसी तरह पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती और विधायक वाहिद पर्रा को भी श्रीनगर में घरों में कैद कर दिया गया. इल्तिजा ने पोस्ट में बताया कि उनके घर पर महिला पुलिसकर्मी तैनात कर दी गई हैं, जिससे उनकी आवाजाही रोकी जा रही है. उन्होंने इसे 'नया कश्मीर' की 'सामान्यता' बताते हुए प्रशासन के डर और असुरक्षा पर तंज कसा.
---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: महबूबा मुफ्ती ने क्यों कहा- ‘लिंचिस्तान बनता जा रहा है हिंदुस्तान…’, बयान पर मचा बवाल
---विज्ञापन---
छात्रों का गुस्सा इसलिए भड़का है क्योंकि लेफ्टिनेंट गवर्नर कार्यालय की ओर से रिजर्वेशन पॉलिसी पर फैसला लटका हुआ है. एक छात्र ने कहा कि इस अनिश्चितता से हमारी पढ़ाई और करियर की संभावनाएं बर्बाद हो रही हैं. 2024 में पॉलिसी में बदलाव के बाद आरक्षित वर्गों के लिए कोटा 60 फीसदी तक बढ़ा दिया गया, जिससे ओपन मेरिट वाले युवाओं में भारी नाराजगी है, खासकर जब यूनियन टेरिटरी में बेरोजगारी पहले से ही चरम पर है.
प्रशासन ने पूरे श्रीनगर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए, किसी भी तरह की भीड़ जमा न हो सके, इसके लिए सख्ती बरती गई. खुशकिस्मती से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण का मुद्दा विचाराधीन है और जल्द ही फैसला लिया जाएगा.