TrendingDelhi Assembly Elections 2025Maha Kumbh 2025Ranji TrophyUnion Budget 2025Champions Trophy 2025

---विज्ञापन---

Attappadi Madhu Murder Case: एससी-एसटी कोर्ट ने 14 आरोपियों को दोषी पाया, दो बरी; सजा का ऐलान कल

Attappadi Madhu Murder Case: आदिवासी युवक मधु मर्डर केस में 14 आरोपियों को दोषी पाया है जबकि दो को कोर्ट ने बरी कर दिया गया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की विशेष अदालत ने मधु हत्याकांड के 14 आरोपियों को आईपीसी की धारा 304 (2) के तहत गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया है। कोर्ट […]

Attappadi Madhu Murder Case: आदिवासी युवक मधु मर्डर केस में 14 आरोपियों को दोषी पाया है जबकि दो को कोर्ट ने बरी कर दिया गया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की विशेष अदालत ने मधु हत्याकांड के 14 आरोपियों को आईपीसी की धारा 304 (2) के तहत गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया है। कोर्ट बुधवार को सजा का ऐलान करेगी। कोर्ट ने जिन आरोपियों को दोपी पाया है, उनमें हुसैन, मराइकर, शमसुदीन, राधाकृष्णन, अबुबकर, सिद्दीकी, उबैद, नजीब, जैजुमोन, मुनीर सजीव, सतीश, हरीश और बीजू शामिल हैं। मामले के अन्य आरोपी अनीश और अब्दुल करीम को अदालत ने बरी कर दिया है। अनीश पर सोशल मीडिया पर मधु के हमले के दृश्यों को कैप्चर करने और प्रचारित करने का आरोप लगाया गया था।

22 फरवरी 2018 का है मामला

22 फरवरी, 2018 को एक किराने की दुकान से खाने का सामान चोरी का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों के एक समूह ने पलक्कड़ के आदिवासी मधु को पकड़ लिया था। फिर उसे बांधकर उसकी पिटाई की गई। इसके बाद उसे पुलिस को सौंप दिया गया। जब मधु को पुलिस को सौंपा गया तब उसकी हालत बेहद खराब थी। अस्पताल ले जाने के दौरान उसने दम तोड़ दिया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मधु के सिर और पसलियां टूटने समेत पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। साथ ही आंतरिक रक्तस्राव भी हुआ था। दो दिन बाद, इस घटना पर हंगामे के बाद एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 3,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की और मामले में कुल 16 लोगों को आरोपी बनाया। आरोपियों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। सभी आरोपियों को मई 2018 में उच्च न्यायालय ने कड़ी शर्तों के साथ जमानत दे दी थी।

तीन महीने बाद ही रद्द हुई थी आरोपियों की जमानत

तीन महीने बाद, मन्नारक्कड़ में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस तर्क को स्वीकार करते हुए 12 अभियुक्तों की जमानत रद्द कर दी कि उनके प्रभाव में, मुकदमे के दौरान कई गवाह मुकर गए थे। विशेष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा उसके सामने लाई गई सभी सामग्रियों के मूल्यांकन पर, यह निष्कर्ष निकला कि अभियुक्तों ने गवाहों को प्रभावित किया। रिपोर्टों के अनुसार, मधु की मां के अनुरोध पर मामले के लिए एक विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त किया गया था, हालांकि वे कई तरह की असुविधाओं का हवाला देकर पेश होने को तैयार नहीं थे।

28 अप्रैल 2022 को शुरू हुई थी सुनवाई

बाद में वीटी रघुनाथ को एसपीपी नियुक्त किया गया था और जब 25 जनवरी, 2022 को मन्नारक्कड़ विशेष अदालत में मामले की सुनवाई हुई तो वे भी उपस्थित नहीं हुए। बाद में, पीड़ित परिवार की ओर से अभियोजक में बदलाव की मांग करने के बाद, वकील राजेश एम मेनन ने एसपीपी के रूप में कार्यभार संभाला। 28 अप्रैल 2022 को शुरू हुई मामले की सुनवाई 10 मार्च 2023 को पूरी हुई। मामले में अभियोजन पक्ष के 127 गवाह थे। मुकदमे के दौरान जिन 100 गवाहों को सुना गया।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.