Election Result 2023 Analysis: इन नतीजों से कैसे प्रभावित होगी 2024 के लिए I.N.D.I.A की रणनीति, क्यों दबाव में कांग्रेस?
Assembly Election Result 2023 Analysis: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है। कई मायनों में इन चुनावों को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए वॉर्मअप की तरह माना जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का एक वर्ग इन चुनावों के परिणाम को कांग्रेस के लिए बनने या बिगड़ने वाला बता रहे हैं। वहीं एक वर्ग का कहना है कि यह जंग विपक्षी गणबंधन का भविष्य तय कर सकती है।
लेकिन सवाल यह है कि इन चुनावों का परिणाम I.N.D.I.A गठबंधन को किस तरह से प्रभावित कर सकता है। आज आने वाले परिणामों पर I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक दल करीबी नजर बनाए हुए हैं। इसमें कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन विपक्षी गठबंधन के रुख को प्रभावित कर सकता है जो अगले साल होने वाले आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ अपनी तैयारियां शुरू करेगी।
सीट बंटवारे पर जल्द बातचीत करना चाहते थे क्षेत्रीय दल
तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) समेत INDIA में शामिल कुछ पार्टियां आम चुनाव में सीट बंटवारे पर जल्द बातचीत करना चाहती थीं। लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों का परिणाम आने का इंतजार करने का बात करते हुए इसमें देर की है।
सूत्रों का कहना है कि यह देरी कांग्रेस की ओर से जानबूझकर की गई है जो सीट बंटवारे की चर्चा में अपना वजन ज्यादा चाहती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे इन चुनावों में बेहतर परिणाम की उम्मीद थी। सूत्रों का मानना है कि अब परिणाम आने के बाद जल्द ही क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मतभेद दूर करने के लिए उनके साथ बातचीत करने पर फोकस वाली राजनीतिक गतिविधियां शुरू होंगी। इनमें सीट बंटवारे की बातचीत के साथ 2024 में भाजपा को हराने के लिए किस तरह एकजुट होकर आगे बढ़ा जाए, यह बिंदु केंद्र में रहेगा।
कांग्रेस नहीं करना चाहती थी चुनाव परिणाम से पहले चर्चा
विपक्षी पार्टियों के नेता पहले ही मल्लिकार्जुन खड़गे से पहले ही अनुरोध कर चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए सभी को एक साथ लाकर और मतभेद परे रखकर आगे बढ़ा जाए। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अगस्त के अंत में मुंबई में हुई I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक में क्षेत्रीय दलों के साथ तुरंत वार्ता न करे का फैसला लिया था। यह निर्णय पार्टी के अंदर इस मामले पर चर्चा के बाद लिया गया था।
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सूत्रों का कहना है कि सितंबर में हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में विचार-विमर्श के दौरान कुछ नेताओं ने अनुरोध किया था कि कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों के साथ सीट बंटवारे को लेकर जल्दी बातचीत नहीं करनी चाहिए। इन नेताओं ने सुझाव दिया था कि ये बात पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद होनी चाहिए। लेकिन, चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की स्थिति को कहीं न कहीं कमजोर किया है। पार्टी तेलंगाना में जरूर सरकार बनाती दिख रही है लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछड़ गई है।
अब बढ़ सकता है कांग्रेस पर साथी दलों की ओर से दबाव
कांग्रेस नेता यह तर्क देते रहे हैं कि 26 पार्टियों का यह विपक्षी गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए है। लेकिन हालिया विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे में मिली नजरअंदाजी के बाद कुछ क्षेत्री पार्टियों के नेताओं ने विरोध प्रदर्शित किया है। कांग्रेस ने अपना यह रुख बरकरार रखा है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनावी जंग मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच थी। जबकि तेलंगाना में वह भारत राष्ट्र समिति (BRS) के खिलाफ भी मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी।
अब जैसे-जैसे इन चुनावों की तस्वीर साफ होती जा रही है, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस पर दबाव बना सकती हैं।
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