Assembly Election Result 2023: 4 राज्यों में NOTA के चौंकाने वाले आंकड़े, जानें कितने लोगों ने चुना ऑप्शन
Election 2023 NOTA Analysis
Assembly Election Result 2023 NOTA Analysis: रविवार को 4 में से 3 राज्यों में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता। वहीं वोटों की गिनती से पता चला कि एक प्रतिशत से भी कम मतदाताओं ने 'उपरोक्त में से कोई नहीं' यानि NOTA बटन दबाया। मध्य प्रदेश में कुल 77.15 प्रतिशत वोटिंग में से 0.99 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 1.29 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। यहां 76.3 फीसदी मतदान हुआ। तेलंगाना में 0.74 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना। राज्य में 71.14 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी तरह राजस्थान में 0.96 फीसदी मतदाताओं ने नोटा विकल्प का इस्तेमाल किया। यहां 74.62 फीसदी मतदान हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर EVM में जुड़ा NOTA बटन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नोटा का इस्तेमाल .01 फीसदी से लेकर अधिकतम 2 फीसदी लोगों ने किया। बता दें कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में नोटा का बटन जोड़ा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले, जो लोग किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के इच्छुक नहीं थे, उनके पास फॉर्म 49-ओ भरने का विकल्प था, लेकिन कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के नियम 49-ओ के तहत मतदान केंद्र पर फॉर्म भरने से मतदाता की गोपनीयता का उल्लंघन हो रहा था। वहीं वोटों की गिनती करते समय नोटा के वोटों को भी गिना जाता है, जिन्हें अतिरिक्त वोट माना जाता है। चुनाव नियमों के अनुसार, 100 में से 99 वोट गिने जाते हैं और किसी कैंडिडेट को एक वोट मिलता है तो उस कैंडिडेट को विनर माना जाएगा।
हरियाणा और गुजरात में हुआ था NOTA पर विवाद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में पहली बार EVM 1982 में केरल के उत्तरा परवूर विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में इस्तेमाल की गई थी। 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से देशभर में EVM से चुनाव हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में 543 संसदीय क्षेत्रों में VVPAT के साथ EVM इस्तेमाल की गई। विधानसभा चुनाव 2013 में EVM में नोटा की शुरुआत हुई। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के अलावा अन्य कैंडिडेट्स को वोटों से ज्यादा NOTA मिले थे। गुजरात विधानसभा चुनाव में साढ़े 5 लाख से ज्यादा वोटर्स ने NOTA को वोट दिया था। दिसंबर 2018 में हरियाणा के 5 नगर निगम चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। इस कारण सभी कैंडिडेट्स को अयोग्य घोषित किया गया। चुनाव आयोग दोबारा चुनाव कराने पर आया, लेकिन दूसरे स्थान पर रहने वाले कैंडिडेट को विनर घोषित किया गया था।
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