कैसे भारतीयों के साथ भेदभाव करता था आर्टिकल 35A ? आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला
Article 370 Verdict Live Update (Pic Credit- Google)
Article 370 Verdict Live Update: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 और 35 ए को रद्द करने को लेकर 16 दिनों तक हुई सुनवाई के बाद 5 सितंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। आज उच्चतम न्यायालय इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 11 दिसंबर को फैसला सुनाने की जानकारी दी गई है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले में कोर्ट की संविधान पीठ ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 16 दिनों तक इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। मामले में याचिका कर्ता की ओर से कपिल सिब्बल, जफर शाह, दुष्यंत दवे समेत आधा दर्जन वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की। जबकि केंद्र की ओर से अटाॅर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। आइये जानते हैं आखिर क्या हैं आर्टिकल 35 ए जिसे सरकार ने 5 अगस्त 2019 को रद्द कर दिया था।
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आर्टिकल 35 ए जम्मू कश्मीर के विधानमंडल को यह अधिकार देता है कि वह यह तय करें कि कौन व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी है, किस व्यक्ति को संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, किसे चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा और कौनसे लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जाएगा। इस अनुच्छेद में यह भी प्रावधान था कि अगर राज्य सरकार इसमें कुछ बदलाव करती है तो उसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
आर्टिकल 35 ए को 14 मई 1954 को प्रेसिडेंट राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश के जरिये पारित किया था। इसके बाद संसद में कानून बनाकर भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ दिया गया।
ये हैं आर्टिकल 35 ए के प्रमुख प्रावधान
1. ऐसा व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं हो वह राज्य में जमीन नहीं खरीद सकता है।
2. भारत के कोई अन्य राज्य का व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का मूल निवासी नहीं बन सकता है।
3. अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की बाहरी लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं।
4. यह आर्टिकल भारत के लोगों के साथ भेदभाव करता है। भारत के अन्य राज्य के लोग जम्मू-कश्मीर में नहीं बस सकते हैं और ना ही वहां के स्थायी निवासी बन सकते हैं। इस दौरान पाकिस्तान से आए घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गई। कुछ दिनों पहले म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों को कश्मीर में बसने की इजाजत दी गई है।
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सरकार ने इसे क्यों हटाया?
1. कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि इस कानून को संसद के जरिये लागू नहीं करवाया गया।
2. विभाजन के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत आए थे उनमें से कई जम्मू-कश्मीर में बसे थे ऐसे में लंबे समय से नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे थे।
3. जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस अनुच्छेद के जरिए आजादी के बाद भारत आए पिछड़े और दलित हिंदुओं को बोनाफाइड से वंचित कर दिया।
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