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क्‍या अलीगढ़ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी को मुसलमानों ने बसाया? सुप्रीम कोर्ट में क्‍यों छ‍िड़ी बहस

Aligarh Muslim University Minority Institution: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर बहस छिड़ी है, जिस पर SC में सुनवाई हुई और केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा। जानिए क्या रहा सुनवाई में?

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Jan 10, 2024 09:56
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर बहस छिड़ी हुई है, जिस पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

Aligarh Muslim University Minority Institution Controversy: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इस पर विवाद चल रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही है। पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। वहीं केंद्र सरकार ने भी मंगलवार को अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा, जिसमें कहा गया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकती।

सरकार ने क्या कहा अपने जवाब में?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया कि AMU किसी विशेष धर्म या धार्मिक संप्रदाय का विश्वविद्यालय नहीं है और न ही हो सकता है। यह राष्ट्रीय महत्व की यूनिवर्सिटी है। यह पूरे देश की यूनिवर्सिटी है। इसमें कोई भी दाखिला ले सकता है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी लिखित दलील में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक ​​कि स्वतंत्रता से पहले भी यह राष्ट्रीय महत्सव का ही थी। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। स्थापना के समय बने दस्तावेजों में ही इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान ही बताया गया है।

क्या अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया संस्थान?

केंद्र सरकार ने अपने जवाब में संविधान सभा में संस्थान को लेकर हुई बहस का जिक्र करते हुए कहा कि संसद में भी यह स्पष्ट हो गया था कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का संस्थान था, है और रहेगा। सवाल चाहे कुछ भी हो, किसी भी संस्थान को अल्पसंख्यक का दर्जा तभी दिया जा सकता है, जब इसे अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित और प्रशासित किया गया हो, लेकिन AMU मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में कार्य करने वाला विश्वविद्यालय नहीं है, क्योंकि इसकी स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों द्वारा नहीं की गई है। इसलिए यह किसी धर्म विशेष का संस्थान नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या सवाल उठाए?

केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी टिप्पणी दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अल्पसंख्यक का दर्जा तभी दिया जा सकता है, जब संस्थान किसी अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित किया गया हो? क्‍या ऐसा कानून नहीं है कि केवल अपने समुदाय के छात्रों को ही यूनिवर्सिटी-स्कूल या कॉलेज में दाखिला दें? किसी भी समुदाय के स्टूडेंट को दाखिला दे सकते हैं? अनुच्छेद 30 स्थापना, प्रशासन और संचालन की बात करता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट मानक नहीं है, जो 100% प्रशासित करने का अधिकार देता हो। आज भारतीय समाज में कुछ भी निरंकुश नहीं है। मानव जीवन का हर पहलू किसी न किसी तरह से नियमों के अधीन होता है।

बता दें क‍ि साल 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसके विरोध में याचिका दायर की गई तो केंद्र सरकार ने भी अपने जवाब में यही कहा कि यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकती।

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Jan 10, 2024 09:51 AM

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