Akhila BS Success Story: सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 760वीं रैंक हासिल करने वाली अखिला बी एस ने दिव्यांगता को अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दिया। पांच साल की उम्र में एक बस दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ गंवाने वाली 28 साल की अखिला ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है।
कॉटन हिल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक के बुहारी की दूसरी बेटी अखिला 11 सितंबर, 2000 को एक हादसे की शिकार हुई थी। हादसे में उन्होंने अपना दाहिना हाथ कंधे से नीचे तक बुरी तरह घायल हो गया था। उन्हें जर्मनी के डॉक्टरों से परामर्श करने के लिए कहा गया। इसके बाद भारत में जर्मनी की एक मेडिकल टीम की जांच के बाद भी अखिला के हाथ ठीक नहीं हुए और उन्होंने अपने कंधे के नीचे तक दाहिने हाथ को खो दिया।
अखिला के परिजन के मुताबिक, हादसे के बाद अखिला ने अपने दैनिक कार्यों को अपने बाएं हाथ से करना शुरू किया और अपने बाएं हाथ से लिखना सीखा। उन्होंने हाईएस्ट स्कोर के साथ अपनी बोर्ड परीक्षा पास की। आईआईटी मद्रास से इंटीग्रेटेड एमए करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। अखिला का यह तीसरा प्रयास था। पहले दो प्रयासों में उसने प्रीलिम्स क्लियर कर लिया था।
अखिला ने बताया- टीचर की सुनाई कहानी ने मुझे प्रेरित किया
अपना अनुभव साझा करते हुए अखिला ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि उनके एक शिक्षक ने उन्हें कलेक्टर के पेशे के बारे में बताया था। इसके बाद अखिला यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रेरित हुईं। अखिला ने बताया कि मैंने 2019 में ग्रैजुएशन के बाद अपनी तैयारी शुरू की। मैंने 2020, 2021 और 2022 में परीक्षा दी। तीनों बार मैंने प्रीलिम्स क्लियर किया लेकिन दो बार लिस्ट में मेरा नाम नहीं था। पहली बार मैं इस साल लिस्ट में शामिल हूं। उन्होंने कहा कि तैयारी के दौरान मैंने अब तक के टॉपर्स को फॉलो किया।
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अखिला ने कहा कि मैंने एक साल के लिए बैंगलोर के एक संस्थान से कोचिंग ली। इसके बाद मैं केरल वापस आ गई और तिरुवनंतपुरम स्थित संस्थान से मदद ली। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान आने वाली चुनौतियों को लेकर अखिला ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ कई उतार-चढ़ाव का अनुभव करना पड़ता है।
अखिला ने तैयारी और एग्जाम के दौैरान आने वाली तैयारियों का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि चुनौती यह है कि इसके लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता होती है। साथ ही, मुझे लंबे समय तक सीधे बैठना भी बहुत मुश्किल लगता था। परीक्षा में लगातार तीन से चार घंटे बैठना एक कठिन कार्य बन गया था। उन्होंने यह भी कहा कि तैयारी और परीक्षा के दौरान अपने बाएं हाथ का उपयोग करना और कमर दर्द के साथ लगातार बैठना एक कठिन चुनौती थी।
उन्होंने कहा, "मेरे लिए समस्या तीन-चार घंटे लिखने की थी। मैं थक जाती थी और मेरा शरीर दुखने लगता था। चौथी मुख्य परीक्षा के लिए मुझे लगातार तीन दिन लिखना पड़ता था। यह मेरे लिए एक चुनौती थी।" उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य आईएएस हासिल करना है। मैंने तय किया कि मैं आगामी परीक्षा की तैयारी करूंगी और जब तक मैं अपनी पसंद की सेवा के लिए नहीं चुनी जाती, तब तक मैंने फैसला किया कि मैं कोशिश करती रहूंगी।
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