Adultery Crime Parliamentary Panel Recommends: ''शादीशुदा महिला या पुरुष के दूसरे से संबंध बनाने (एडल्टरी या व्यभिचार) को फिर से अपराध बनाया जाना चाहिए क्योंकि विवाह की संस्था पवित्र है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।'' एक संसदीय पैनल ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश किए गए विधेयक 'भारतीय न्याय संहिता' पर अपनी रिपोर्ट में सरकार से यह सिफारिश की है। आसान भाषा में कहें तो इस सिफारिश में गैर शख्स के साथ संबंध बनाने को फिर से कानूनन अपराध बनाने की बात कही गई है।
दोनों को मिले समान सजा
रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि 'संशोधित व्यभिचार कानून' को जेंडर न्यूट्रल के तौर पर माना जाना चाहिए। यानी पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने 2018 में ऐतिहासिक फैसले देते हुए कहा था कि ''व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता और न ही होना चाहिए।''
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि व्यभिचार तलाक के लिए सिविल अपराध का आधार हो सकता है, हालांकि आपराधिक अपराध नहीं हो सकता। अदालत ने तर्क दिया कि 163 साल पुराना औपनिवेशिक युग का कानून 'पति पत्नी का मालिक है' की अमान्य अवधारणा है। इस तरह किसी पुरुष या महिला के दूसरे के साथ संबंध गैर कानूनी नहीं रह गए थे।
पी चिदंबरम की असहमति
अदालत ने उस कानून को पुरातन, मनमाना और पितृसत्तात्मक कहा था। शीर्ष कोर्ट कहा था कि यह एक महिला की स्वायत्तता और गरिमा का उल्लंघन करता है। हालांकि अब असहमति वाले नोट प्रस्तुत करने वालों में कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम भी शामिल रहे। उन्होंने कहा- राज्य को एक कपल के जीवन में प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह दावा भी किया कि तीन नए बिल मोटे तौर पर मौजूदा कानूनों की कॉपी और पेस्ट हैं।
पांच साल की सजा का था प्रावधान
हालांकि 2018 के फैसले से पहले कानून में कहा गया था कि पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसके पति की सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है, उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल की सजा हो सकती है। हालांकि महिला के लिए सजा का प्रावधान नहीं था। गृह मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट चाहती है कि व्यभिचार कानून को थोड़ा हटाकर वापस लाया जाए। इसका मतलब है कि अगर ये कानून बनता है तो पुरुष और महिला दोनों को सजा का सामना करना पड़ेगा।