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पानी में ड्रैगन को पछाड़ने को एकदम तैयार है Indian Navy; जानें क्या है ‘मिशन-175’

नई दिल्ली: विस्तारवाद की नीति पर चल रहा भारत का पड़ोसी देश चीन चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन भारत उसके हर हमले का माकूल जवाब देने के लिए एकदम तैयार है। खासकर ड्रैगन को पानी में पछाड़ने के लिए हमारी नौसेना इतनी ताकत रखती है कि दुश्मन को डरना ही होगा। हिंद महासागर में चीन […]

नई दिल्ली: विस्तारवाद की नीति पर चल रहा भारत का पड़ोसी देश चीन चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन भारत उसके हर हमले का माकूल जवाब देने के लिए एकदम तैयार है। खासकर ड्रैगन को पानी में पछाड़ने के लिए हमारी नौसेना इतनी ताकत रखती है कि दुश्मन को डरना ही होगा। हिंद महासागर में चीन को झटका देने के लिए भारत ने पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। अपनी ब्लू वॉटर फोर्स को ताकत के उद्देश्य से भारत एशिया के दूसरे देशों के साथ भी सैन्य सहयोग में बढ़ोतरी कर रहा है, वहीं कम से कम 68 वारशिप्स और पनडुब्बियां को मॉडर्न रूप देकर जल्द ही अपने समुद्री बेड़े में शामिल करने वाला है। हालांकि हालिया स्थिति चीन के पास हम से चार गुणा पनडुब्बियां मौजूद हैं। इसी से निपटने के लिए मिशन-175 पर काम चल रहा है। जानें क्या है मिशन-175... इस बात में कोई दो राय नहीं कि मौजूदा स्थिति में चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना उपलब्ध है, जिसमें 355 वारशिप्स और सबमरीन हैं। बीते 10 साल में ही चीन 150 के करीब युद्धपोत अपने बेड़े में शामिल कर चुका है। उसके मिशन PLAN पर गौर करें तो आने वाले 5-6 साल में चीन के वारशिप्स की गिनती बढ़कर 555 भी हो सकती है। इसके अलावा चीन हिंद महासागर क्षेत्र में एयरक्राफ्ट कैरियर भी उतार सकता है। इसी से निपटने के लिए रक्षा मामलों में लगातार आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे भारत ने शिपयार्ड्स पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। रक्षासूत्रों से जानकारी मिली है कि 2035 तक कम से कम 175 नए युद्धपोत नौसेना में शामिल करने का प्लान है। 132 युद्धपोतों, 143 एयरक्राफ्ट्स और 130 हेलिकॉप्टर्स के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने शुरुआती मंजूरी दे दी है। साथ ही आने वाले वक्त में देश में 8 आधुनिक कॉर्वेट, 9 पनडुब्बियां, पांच सर्वे वेसेल और दो मल्टी पर्पज नौकाएं भी बनाई जाएंगी। इसी के साथ यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि पुराने जहाजों को रिटायर करने की प्रक्रिया में तेजी बनी रही और नए बनाने पर काम नहीं हुआ तो 2030 तक भारत के पास 160 से भी कम युद्धपोत रह जाएंगे। इसी समस्या से निपटने के लिए यह मौजूदा मिशन 175 पाइपलाइन में लाया गया है। इसके अलावा फाइटर एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और ड्रोन की संख्या बढ़ाने पर भी पूरा जोर होगा।

चुनौती और राहत की बात

इस प्लान के साथ देसी हथियार और युद्धपोत तैयार करने के ऐलान के साथ भारत ने दुनिया को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि इस राह में चुनौतियां भी कुछ नहीं हैं। भारत अभी तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की तैयारी में लगा है, जिसे करीब 10 साल का समय लग सकता है। बीते साल कमीशन हुए आईएनएस विक्रांत को भी अभी तैयार करना बाकी है, वहीं 42 हजार करोड़ रुपए की 6 डीजल पनडुब्बियों का निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है। सरकार अब मजगांव डॉक पर फ्रेंच ओरिजिन की तीन स्कॉर्पीन क्लास की सबमरीन बनाने की ओर काम कर रही है। बावजूद इसके इस मामले में अच्छी खबर यह है कि प्रोजेक्ट 17 एक के तहत कोलकाता में बन रहे 6670 टन के स्टेल्थ फ्रिगेट की डिलिवरी 2024 से 26 के बीच हो सकती है। इसके अलावा भारत में 61 शिप का निर्माण चल रहा है। दो फ्रिगेट रूस में बनाई जा रही हैं। कोच्चि शिपयार्ड पर भी 9805 करोड़ रुपए से 6 नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल वेसल का निर्माण चल रहा है, जो मार्च 2027 से डिलिवर होना शुरू हो जाएंगे।


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